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October 6, 2024

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सिलीगुड़ी चातुर्मास 2024 दिनाक 5-10-2024 को सुबह 5:30 बजे से कार्यक्रम मुनिश्री डॉ ज्ञानेंद्र कुमारजी के नवकार महामंत्र के संगान के साथ प्रारम्भ हुवा….मीनू धाडेंवा, जिला संवाददाता, Key Line Times आज भक्ताम्बर स्तोत्र मंत्र सिद्धि आराधना महाअनुष्ठान का तृतीय दिवस था,आज मुनिश्री ने श्लोक नबर 11 से 15 तक का अनुष्ठान ऋद्धि मंत्रो एवम मंत्रो के उच्चारणों के साथ बहुत ही तन्मयता के साथ करवाया,वहा का वातावरण बहुत ही तलीन और खुशनुमा प्रतीत हो रहा था सभी ने मनोभाव के साथ यह महाअनुष्ठान में भाग लेकर अपने आप को अच्छा मान रहे हैं, मुनिश्री ने पहले फ़रमाया था की जो भी इस अनुष्ठान में भाग लेने में चूक जाएगा वह आगे निराश अवश्य होगा यह बात भी सच हो रही है मुनिश्री द्वारा मंगल पाठ के साथ आज का अनुष्ठान संपन्न किया गया,यह अनुष्ठान नो दिन तक चलेगा संवाददाता मीनू धाडे़वा

सिलीगुड़ी चातुर्मास 2024 दिनाक 5-10-2024 को सुबह 5:30 बजे से कार्यक्रम मुनिश्री डॉ ज्ञानेंद्र कुमारजी के नवकार महामंत्र के संगान के साथ प्रारम्भ हुवा….मीनू धाडेंवा, जिला संवाददाता, Key Line Times आज भक्ताम्बर स्तोत्र मंत्र सिद्धि आराधना महाअनुष्ठान का तृतीय दिवस था,आज मुनिश्री ने श्लोक नबर 11 से 15 तक का अनुष्ठान ऋद्धि मंत्रो एवम मंत्रो के उच्चारणों के साथ बहुत ही तन्मयता के साथ करवाया,वहा का वातावरण बहुत ही तलीन और खुशनुमा प्रतीत हो रहा था सभी ने मनोभाव के साथ यह महाअनुष्ठान में भाग लेकर अपने आप को अच्छा मान रहे हैं, मुनिश्री ने पहले फ़रमाया था की जो भी इस अनुष्ठान में भाग लेने में चूक जाएगा वह आगे निराश अवश्य होगा यह बात भी सच हो रही है मुनिश्री द्वारा मंगल पाठ के साथ आज का अनुष्ठान संपन्न किया गया,यह अनुष्ठान नो दिन तक चलेगा संवाददाता मीनू धाडे़वा

प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष शुभारम्भ समारोह का सफल आयोजन…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साऊथ हावड़ा,प्रेक्षाध्यान की साधना से आत्मदर्शन संभव है मुनि श्री जिनेश कुमार जी* साउथ हावडा युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्त्वावधान में प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष शुभारम्भ समारोह का आयोजन साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा प्रेक्षा विहार में किया गया। इस अवसर पर प्रेक्षा प्रशिक्षिकाए व श्रावक श्राविकाएं अच्छी संख्या मे उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा जिस साधक का मन- रुपी जल राग-द्वेष की तरंगों से चंचल नहीं है। स्थिर है वह आत्मतत्त्व को देखता है। उस तत्व को दूसरा व्यक्ति नहीं देख सकता। हमारा चित्त जल से भरा हुआ शांत सरोवर है। सरोवर में छोटा-सा कंकर डालते ही वह आस्थिर हो जाता है, तरंगीत हो जाता है। इसी प्रकार हमारा चित्त भी राग-द्वेष की तरंगों से चंचल हो उठता है उसे शांत बनाए रखने का अमोघ साधन‌ है ध्यान। ध्यान एक अलौकिक दिव्य शक्ति है। ध्यान वह परम पुरषार्थ है। वह अध्यात्म साधना का सोपान व रिद्वि सिद्धि का दाता है। ध्यान धर्माराधना व साधना का महत्व पूर्ण अंग है। ध्यान पारस मणि है। ध्यान से आचार शुद्धि, विचार शुद्धि, भाव शुद्धि होती है। ध्यान में एक ध्यान प्रेक्षाध्यान । प्रेक्षा ध्यान साधना का नवनीत है। ध्यान से आत्म दर्शन संभव है। मुनिश्री ने आगे कहा. आज चारों ओर तनाव का माहोल है तनाव मुक्ति का उपाय प्रेक्षाध्यान है। भगवान महावीर ध्यान के महान साधक व ध्यान के सचेतक प्रयोक्ता थे। आचार्य श्री तुलसी की सन्निधि मे आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने अपनी साधना के द्वारा समाज को प्रेक्षाध्यान का आयाम दिया आचार्य श्री महाश्रमण जी ने प्रेक्षाध्यान की अर्ध शताब्दी के पूर्णता होती पर इस वर्ष प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष घोषित किया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षकों के प्रति शुभकामना प्रकट करता हूं। सभी संस्थाओं के सदस्य भी प्रेक्षाध्यान की साधना करने का प्रतिदिन दस मिनिट लक्ष्य रखे। मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराएं। कार्यक्रम का शुभारंभ बाल मुनि श्री कुणाल कुमार जी के प्रेक्षागीत के संगान से हुआ। स्वागत भाषण साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी लक्ष्मीपत बाफणा ने दिया। प्रेक्षा इंटरनेशनल के प्रतिनिधि रणजीत जी दुगड, प्रेक्षा फाउंडेशन के प्रतिनिधि ईस्ट जोन कोर्डिनेटर श्रीमती मंजु जैन सिपानी ने प्रेक्षाध्यान के संदर्भ में विचार व्यक्त किये। आचार्य श्री महाश्रमण, जी के संदेश का वाचन संजय जी पारख ने किया। प्रेक्षाध्यान के विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रवृत्तियों की जानकारी की प्रस्तुति प्रेक्षा प्रशिक्षिकाओं ने प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानंद ने किया ।

प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष शुभारम्भ समारोह का सफल आयोजन…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साऊथ हावड़ा,प्रेक्षाध्यान की साधना से आत्मदर्शन संभव है मुनि श्री जिनेश कुमार जी* साउथ हावडा युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्त्वावधान में प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष शुभारम्भ समारोह का आयोजन साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा प्रेक्षा विहार में किया गया। इस अवसर पर प्रेक्षा प्रशिक्षिकाए व श्रावक श्राविकाएं अच्छी संख्या मे उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा जिस साधक का मन- रुपी जल राग-द्वेष की तरंगों से चंचल नहीं है। स्थिर है वह आत्मतत्त्व को देखता है। उस तत्व को दूसरा व्यक्ति नहीं देख सकता। हमारा चित्त जल से भरा हुआ शांत सरोवर है। सरोवर में छोटा-सा कंकर डालते ही वह आस्थिर हो जाता है, तरंगीत हो जाता है। इसी प्रकार हमारा चित्त भी राग-द्वेष की तरंगों से चंचल हो उठता है उसे शांत बनाए रखने का अमोघ साधन‌ है ध्यान। ध्यान एक अलौकिक दिव्य शक्ति है। ध्यान वह परम पुरषार्थ है। वह अध्यात्म साधना का सोपान व रिद्वि सिद्धि का दाता है। ध्यान धर्माराधना व साधना का महत्व पूर्ण अंग है। ध्यान पारस मणि है। ध्यान से आचार शुद्धि, विचार शुद्धि, भाव शुद्धि होती है। ध्यान में एक ध्यान प्रेक्षाध्यान । प्रेक्षा ध्यान साधना का नवनीत है। ध्यान से आत्म दर्शन संभव है। मुनिश्री ने आगे कहा. आज चारों ओर तनाव का माहोल है तनाव मुक्ति का उपाय प्रेक्षाध्यान है। भगवान महावीर ध्यान के महान साधक व ध्यान के सचेतक प्रयोक्ता थे। आचार्य श्री तुलसी की सन्निधि मे आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने अपनी साधना के द्वारा समाज को प्रेक्षाध्यान का आयाम दिया आचार्य श्री महाश्रमण जी ने प्रेक्षाध्यान की अर्ध शताब्दी के पूर्णता होती पर इस वर्ष प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष घोषित किया उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षकों के प्रति शुभकामना प्रकट करता हूं। सभी संस्थाओं के सदस्य भी प्रेक्षाध्यान की साधना करने का प्रतिदिन दस मिनिट लक्ष्य रखे। मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराएं। कार्यक्रम का शुभारंभ बाल मुनि श्री कुणाल कुमार जी के प्रेक्षागीत के संगान से हुआ। स्वागत भाषण साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी लक्ष्मीपत बाफणा ने दिया। प्रेक्षा इंटरनेशनल के प्रतिनिधि रणजीत जी दुगड, प्रेक्षा फाउंडेशन के प्रतिनिधि ईस्ट जोन कोर्डिनेटर श्रीमती मंजु जैन सिपानी ने प्रेक्षाध्यान के संदर्भ में विचार व्यक्त किये। आचार्य श्री महाश्रमण, जी के संदेश का वाचन संजय जी पारख ने किया। प्रेक्षाध्यान के विभिन्न कार्यक्रमों एवं प्रवृत्तियों की जानकारी की प्रस्तुति प्रेक्षा प्रशिक्षिकाओं ने प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानंद ने किया ।

फारबिसगंज तेरापंथ भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन…मीनू धाडेंवा, जिला संवाददाता, Key LINE TIMES फारबिसगंज, फारबिसगंज के तेरापंथ भवन मे आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ठाणा चार की सन्निधि में नेपाल बिहार झारखंड स्तरीय एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। तेरापंथ धर्म संघ की मुख्य संस्था है जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा। इसी संस्था शिरोमणि महासभा के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन स्थानीय फारबिसगंज सभा के द्वारा करवाया गया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि महासभा के अध्यक्ष मनसुखदास जी सेठिया, सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं पंच मंडल के सदस्य सुरेश जी गोयल उपाध्यक्ष बसंत जी सुराणा, उपाध्यक्ष विजयराज जी चोपड़ा एवं उनकी टीम थी। इस कार्यशाला में नेपाल बिहार झारखंड तीनो क्षेत्रों से करीबन 34 शहरो के अध्यक्ष मंत्री एवं अन्य पदाधिकारी गण के साथ लगभग 150 व्यक्तियों ने इसमें भाग लिया। कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का कार्यक्रम तीन सत्रों में चला साध्वी श्री स्वर्णरेखाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में बताया कि कार्यकर्ता के गुणो की व्याख्या करते हुए बताया कि कार्यकर्ता में केकड़ावृति नहीं जटायु वृत्ति होनी चाहिए। कार्यकर्ता को पदलिप्सा त्याग कर संघसेवा में हमेशा तैयार रहना चाहिए। आचार्य श्री भिक्षु ,आचार्य श्री तुलसी ,आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी सभी ने सफल कार्यकर्ता होने के लिए एक ही मंत्र दिया है वह है अंग्रेजी के पांच शब्द।एक सफल कार्यकर्ता “आई “को त्याग कर “वी “में आए और “ईगो” को अपने जीवन से हटाते हुए “लव ” की “लाईट” से दुनिया को प्रकाशित करें। एक कार्यकर्ता अपना कार्य सुरंग से करके निकल जाता है। और किसी को पता भी नहीं चलता है यही एक सच्चे कार्यकर्ता की पहचान है। फारबिसगंज समाज की तरफ से एक बहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। जिसमें स्थानीय सभा ने स्वागत गीतिका का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद में फूलों के माध्यम से कार्यकर्ता में क्या गुण होने चाहिए इस पर एक परिसंवाद प्रस्तुत किया स्थानीय महिला मंडल एवं कन्या मंडल ने सांची कहूं तोरे आवन से हमारी नगरी में आई बहार अध्यक्ष जी ….स्वागत गीतिका के द्वारा सभी का मन मोह लिया। महासभा के अध्यक्ष मनसुख दास जी सेठिया ने सभा के करणीय कार्यों के बारे में चर्चा की। । संघ निर्देशिका पुस्तक का पठन करके हम सभा के सभी नियमों को भलीभांति से जान सकते हैं। महासभा के संवाहक अनूप जी बोथरा ने बिहार क्षेत्र में महासभा के कार्यों की जानकारी दी। महासभा के संवाहक नेमचंदजी ने सभा की नियमावली का वाचन किया।साध्वी श्रीस्वर्ण रेखा जी ने मंगल पाठ के द्वारा इस कार्यशाला का समापन करवाया। संवाददाता मीनू धाड़ेवा

फारबिसगंज तेरापंथ भवन में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन…मीनू धाडेंवा, जिला संवाददाता, Key LINE TIMES फारबिसगंज, फारबिसगंज के तेरापंथ भवन मे आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ठाणा चार की सन्निधि में नेपाल बिहार झारखंड स्तरीय एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। तेरापंथ धर्म संघ की मुख्य संस्था है जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा। इसी संस्था शिरोमणि महासभा के तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन स्थानीय फारबिसगंज सभा के द्वारा करवाया गया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि महासभा के अध्यक्ष मनसुखदास जी सेठिया, सभा के पूर्व अध्यक्ष एवं पंच मंडल के सदस्य सुरेश जी गोयल उपाध्यक्ष बसंत जी सुराणा, उपाध्यक्ष विजयराज जी चोपड़ा एवं उनकी टीम थी। इस कार्यशाला में नेपाल बिहार झारखंड तीनो क्षेत्रों से करीबन 34 शहरो के अध्यक्ष मंत्री एवं अन्य पदाधिकारी गण के साथ लगभग 150 व्यक्तियों ने इसमें भाग लिया। कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का कार्यक्रम तीन सत्रों में चला साध्वी श्री स्वर्णरेखाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में बताया कि कार्यकर्ता के गुणो की व्याख्या करते हुए बताया कि कार्यकर्ता में केकड़ावृति नहीं जटायु वृत्ति होनी चाहिए। कार्यकर्ता को पदलिप्सा त्याग कर संघसेवा में हमेशा तैयार रहना चाहिए। आचार्य श्री भिक्षु ,आचार्य श्री तुलसी ,आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी सभी ने सफल कार्यकर्ता होने के लिए एक ही मंत्र दिया है वह है अंग्रेजी के पांच शब्द।एक सफल कार्यकर्ता “आई “को त्याग कर “वी “में आए और “ईगो” को अपने जीवन से हटाते हुए “लव ” की “लाईट” से दुनिया को प्रकाशित करें। एक कार्यकर्ता अपना कार्य सुरंग से करके निकल जाता है। और किसी को पता भी नहीं चलता है यही एक सच्चे कार्यकर्ता की पहचान है। फारबिसगंज समाज की तरफ से एक बहुत ही सुंदर प्रस्तुति प्रस्तुत की गई। जिसमें स्थानीय सभा ने स्वागत गीतिका का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद में फूलों के माध्यम से कार्यकर्ता में क्या गुण होने चाहिए इस पर एक परिसंवाद प्रस्तुत किया स्थानीय महिला मंडल एवं कन्या मंडल ने सांची कहूं तोरे आवन से हमारी नगरी में आई बहार अध्यक्ष जी ….स्वागत गीतिका के द्वारा सभी का मन मोह लिया। महासभा के अध्यक्ष मनसुख दास जी सेठिया ने सभा के करणीय कार्यों के बारे में चर्चा की। । संघ निर्देशिका पुस्तक का पठन करके हम सभा के सभी नियमों को भलीभांति से जान सकते हैं। महासभा के संवाहक अनूप जी बोथरा ने बिहार क्षेत्र में महासभा के कार्यों की जानकारी दी। महासभा के संवाहक नेमचंदजी ने सभा की नियमावली का वाचन किया।साध्वी श्रीस्वर्ण रेखा जी ने मंगल पाठ के द्वारा इस कार्यशाला का समापन करवाया। संवाददाता मीनू धाड़ेवा

साउथ हावडा मे अष्टमाचार्य कालूगणी का 89 वां स्वर्गवास दिवस मनाया….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साउथ हावड़ा,युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सानिध्य में प्रेक्षा विहार में अष्टमाचार्य कालूगणी का 89 वां स्वर्गवास दिवस साउथ हावड़‌ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – आचार्य श्री कालूगणी तेरापंथ धर्म संघ के अष्टम् अधिशास्ता थे। उनका जन्म छापर में हुआ। उनके पिता का नाम मूलचंदजी, माता का नाम छोगाजी था। तेरापंथ के पंचम् अधिशास्ता मघवागणी के कर कमलों से कालूगणी की दीक्षा हुई। कालूगणी का जीवन निर्मल और पवित्र था। वे निस्पृह साधक आचारनिष्ठ थे।वे अनुशासन प्रिय थे। उन्होंने धर्म संघ का खूब विकास किया। उनके शासन काल में बालक बालिकाओं की अतिशय दीक्षाएं हुई। वे संघ का प्ररा ध्यान रखते थे। उन्होंने अनेक साधु साध्वियां को योग्य बनाया। उनके द्वारा दीक्षित दो मुनि आचार्य बने। आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी। उन्होंने देशाटन भी किया। वे सिद्धान्त से कभी समझोता नहीं करते थे । उनका जीवन बेदाग था। मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्य श्री कालूगणी पुण्यात्मा थे। उनका चिन्तन स्वस्थ व स्पष्ट था। आज के दिन दिन कालूगणी का गंगापुर (मेवाड़) में उनका स्वर्गवास हुआ। मुनिश्री ने उनसे संबोधित अनेक संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंदजी ने कहा- परमपूज्य कालूगणी वचन सिद्ध पुरुष थे। उनकी दूर दृष्टि से धर्मसंध में संस्कृत शिक्षा का बहुत विकास हु‌आ। उनका जीवन चरित्र सभी के लिए प्रेरक बना हुआ है। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेशजी गोयल ने कालूगणी से सम्बंधित संस्मरण सुनाया।

साउथ हावडा मे अष्टमाचार्य कालूगणी का 89 वां स्वर्गवास दिवस मनाया….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साउथ हावड़ा,युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सानिध्य में प्रेक्षा विहार में अष्टमाचार्य कालूगणी का 89 वां स्वर्गवास दिवस साउथ हावड़‌ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – आचार्य श्री कालूगणी तेरापंथ धर्म संघ के अष्टम् अधिशास्ता थे। उनका जन्म छापर में हुआ। उनके पिता का नाम मूलचंदजी, माता का नाम छोगाजी था। तेरापंथ के पंचम् अधिशास्ता मघवागणी के कर कमलों से कालूगणी की दीक्षा हुई। कालूगणी का जीवन निर्मल और पवित्र था। वे निस्पृह साधक आचारनिष्ठ थे।वे अनुशासन प्रिय थे। उन्होंने धर्म संघ का खूब विकास किया। उनके शासन काल में बालक बालिकाओं की अतिशय दीक्षाएं हुई। वे संघ का प्ररा ध्यान रखते थे। उन्होंने अनेक साधु साध्वियां को योग्य बनाया। उनके द्वारा दीक्षित दो मुनि आचार्य बने। आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी। उन्होंने देशाटन भी किया। वे सिद्धान्त से कभी समझोता नहीं करते थे । उनका जीवन बेदाग था। मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्य श्री कालूगणी पुण्यात्मा थे। उनका चिन्तन स्वस्थ व स्पष्ट था। आज के दिन दिन कालूगणी का गंगापुर (मेवाड़) में उनका स्वर्गवास हुआ। मुनिश्री ने उनसे संबोधित अनेक संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंदजी ने कहा- परमपूज्य कालूगणी वचन सिद्ध पुरुष थे। उनकी दूर दृष्टि से धर्मसंध में संस्कृत शिक्षा का बहुत विकास हु‌आ। उनका जीवन चरित्र सभी के लिए प्रेरक बना हुआ है। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेशजी गोयल ने कालूगणी से सम्बंधित संस्मरण सुनाया।

साउथ हावडा मे पर्युषण पर्व का सांतवा दिन ध्यान के रुप में मनाया….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साउथ हावड़ा, आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रेक्षा विहार में पर्युषण पर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा – आत्म शुद्धि के दो उपाय है. स्वाध्याय और ध्यान । ध्यान एक नई स्फूर्ति देता है। ध्यान जीने की कला है और जीवन का मूल्यवान पक्ष है। ध्यान के द्वारा किसी को साधा जा सकता है। ध्यान साधान है।, साध्य नहीं है। साध्य तो मोक्ष है। ध्यान के समान कोई पाप का शोधन करने वाला नहीं है। ध्यान आभ्यन्तर तप है। ध्यान संजीवनी बूटी है। ध्यान से देह की, गेह की, स्नेह की आसक्ति दूर होती है। विचारों में अनाग्रह का भाव आता है। ध्यान से व्यक्ति के जीवन में असंग्रह की भावना पैदा होती है। आचरण में अहिंसा का विकास होता है। ध्यान से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ध्यान में एक ध्यान है- प्रेक्षा ध्यान। प्रेक्षाध्यान ज्योति है, प्रकाश है। गहराई से से देखना ही प्रेक्षाध्यान है। योगों का स्थिरीकरण ध्यान है। मुनिश्री ने आगे कहा आज की भाषा में ध्यान के पांच हेतु है। तनाव मुक्ति मन: प्रसाद, संवेग नियंत्रण, संतोष, अन्तर्दृष्टि का जागरण है। ध्यान का जन्म कषाय, आसक्ति के त्याग से व्रत नियम धारणा व इन्दिय और मन के विजय से होता है गुरुदेव तुलसी की सन्निधि में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान का शुभारंभ किया। ध्यान दिवस पर इतना ही कहना चाहता हूं सभी भाई बहिन प्रेक्षा ध्यान की साधना के द्वारा जीवन को रुपान्तरित करें। मुनि श्री परमानंदजी ने पौषध व्रत के बारे में बताते हुए पौषध की प्रेरणा दी। इस अवसर पर बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान करते हुए प्रेक्षा ध्यान की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल उत्तर हावड़ा के मंगलाचरण से हुआ। प्रेक्षा प्रशिक्षक – प्रशिक्षिकाओं ने प्रेक्षा गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने किया।

साउथ हावडा मे पर्युषण पर्व का सांतवा दिन ध्यान के रुप में मनाया….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साउथ हावड़ा, आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रेक्षा विहार में पर्युषण पर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा – आत्म शुद्धि के दो उपाय है. स्वाध्याय और ध्यान । ध्यान एक नई स्फूर्ति देता है। ध्यान जीने की कला है और जीवन का मूल्यवान पक्ष है। ध्यान के द्वारा किसी को साधा जा सकता है। ध्यान साधान है।, साध्य नहीं है। साध्य तो मोक्ष है। ध्यान के समान कोई पाप का शोधन करने वाला नहीं है। ध्यान आभ्यन्तर तप है। ध्यान संजीवनी बूटी है। ध्यान से देह की, गेह की, स्नेह की आसक्ति दूर होती है। विचारों में अनाग्रह का भाव आता है। ध्यान से व्यक्ति के जीवन में असंग्रह की भावना पैदा होती है। आचरण में अहिंसा का विकास होता है। ध्यान से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ध्यान में एक ध्यान है- प्रेक्षा ध्यान। प्रेक्षाध्यान ज्योति है, प्रकाश है। गहराई से से देखना ही प्रेक्षाध्यान है। योगों का स्थिरीकरण ध्यान है। मुनिश्री ने आगे कहा आज की भाषा में ध्यान के पांच हेतु है। तनाव मुक्ति मन: प्रसाद, संवेग नियंत्रण, संतोष, अन्तर्दृष्टि का जागरण है। ध्यान का जन्म कषाय, आसक्ति के त्याग से व्रत नियम धारणा व इन्दिय और मन के विजय से होता है गुरुदेव तुलसी की सन्निधि में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान का शुभारंभ किया। ध्यान दिवस पर इतना ही कहना चाहता हूं सभी भाई बहिन प्रेक्षा ध्यान की साधना के द्वारा जीवन को रुपान्तरित करें। मुनि श्री परमानंदजी ने पौषध व्रत के बारे में बताते हुए पौषध की प्रेरणा दी। इस अवसर पर बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान करते हुए प्रेक्षा ध्यान की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल उत्तर हावड़ा के मंगलाचरण से हुआ। प्रेक्षा प्रशिक्षक – प्रशिक्षिकाओं ने प्रेक्षा गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने किया।

राष्ट्रीय महिला स्तर में पहुंची कोलकाता की समृद्धि दुगड़…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर,Key Line Times कोलकाता,शासनसेवी श्रीमान बुधमल जी दुगड़ ( कल्याणमित्र परिवार ) कोलकाता , की पड़पौत्री ऋषभ – सलोनी दुगड़ की सुपुत्री तथा सुरेन्द्र – विनीता दुगड़ की सुपौत्री समृद्धि दुगड़ पश्चिम बंगाल महिला स्नूकर चैम्पियनशिप 2024 के पहले फाइनल में पहुंची और उपविजेता रही। इस उपलब्धि के साथ समृद्धि का मात्र 13 वर्ष की उम्र में महिला राष्ट्रीय स्तर में खेलने के लिए स्थान सुरक्षित हो गया। मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक राज्य से केवल शीर्ष 2 खिलाड़ियों को ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश मिलता है, इसमें इस बार एक नाम समृद्धि का है। जैन समाज के विशिष्ट लोगों ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की है और इसे समाज के लिेए गौरवशाली क्षण बताया है । सभी ने दुगड़ परिवार को बधाई देने के साथ साथ समृद्धि के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है ।

राष्ट्रीय महिला स्तर में पहुंची कोलकाता की समृद्धि दुगड़…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर,Key Line Times कोलकाता,शासनसेवी श्रीमान बुधमल जी दुगड़ ( कल्याणमित्र परिवार ) कोलकाता , की पड़पौत्री ऋषभ – सलोनी दुगड़ की सुपुत्री तथा सुरेन्द्र – विनीता दुगड़ की सुपौत्री समृद्धि दुगड़ पश्चिम बंगाल महिला स्नूकर चैम्पियनशिप 2024 के पहले फाइनल में पहुंची और उपविजेता रही। इस उपलब्धि के साथ समृद्धि का मात्र 13 वर्ष की उम्र में महिला राष्ट्रीय स्तर में खेलने के लिए स्थान सुरक्षित हो गया। मिली जानकारी के अनुसार प्रत्येक राज्य से केवल शीर्ष 2 खिलाड़ियों को ही राष्ट्रीय स्तर पर प्रवेश मिलता है, इसमें इस बार एक नाम समृद्धि का है। जैन समाज के विशिष्ट लोगों ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त की है और इसे समाज के लिेए गौरवशाली क्षण बताया है । सभी ने दुगड़ परिवार को बधाई देने के साथ साथ समृद्धि के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है ।

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