साउथ हावडा मे अष्टमाचार्य कालूगणी का 89 वां स्वर्गवास दिवस मनाया….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साउथ हावड़ा,युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सानिध्य में प्रेक्षा विहार में अष्टमाचार्य कालूगणी का 89 वां स्वर्गवास दिवस साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – आचार्य श्री कालूगणी तेरापंथ धर्म संघ के अष्टम् अधिशास्ता थे। उनका जन्म छापर में हुआ। उनके पिता का नाम मूलचंदजी, माता का नाम छोगाजी था। तेरापंथ के पंचम् अधिशास्ता मघवागणी के कर कमलों से कालूगणी की दीक्षा हुई। कालूगणी का जीवन निर्मल और पवित्र था। वे निस्पृह साधक आचारनिष्ठ थे।वे अनुशासन प्रिय थे। उन्होंने धर्म संघ का खूब विकास किया। उनके शासन काल में बालक बालिकाओं की अतिशय दीक्षाएं हुई। वे संघ का प्ररा ध्यान रखते थे। उन्होंने अनेक साधु साध्वियां को योग्य बनाया। उनके द्वारा दीक्षित दो मुनि आचार्य बने। आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी। उन्होंने देशाटन भी किया। वे सिद्धान्त से कभी समझोता नहीं करते थे । उनका जीवन बेदाग था। मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्य श्री कालूगणी पुण्यात्मा थे। उनका चिन्तन स्वस्थ व स्पष्ट था। आज के दिन दिन कालूगणी का गंगापुर (मेवाड़) में उनका स्वर्गवास हुआ। मुनिश्री ने उनसे संबोधित अनेक संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंदजी ने कहा- परमपूज्य कालूगणी वचन सिद्ध पुरुष थे। उनकी दूर दृष्टि से धर्मसंध में संस्कृत शिक्षा का बहुत विकास हुआ। उनका जीवन चरित्र सभी के लिए प्रेरक बना हुआ है। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। महासभा के पूर्व अध्यक्ष सुरेशजी गोयल ने कालूगणी से सम्बंधित संस्मरण सुनाया।