साउथ हावडा मे पर्युषण पर्व का सांतवा दिन ध्यान के रुप में मनाया….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times साउथ हावड़ा, आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रेक्षा विहार में पर्युषण पर्व का सातवां दिन ध्यान दिवस के रूप में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा – आत्म शुद्धि के दो उपाय है. स्वाध्याय और ध्यान । ध्यान एक नई स्फूर्ति देता है। ध्यान जीने की कला है और जीवन का मूल्यवान पक्ष है। ध्यान के द्वारा किसी को साधा जा सकता है। ध्यान साधान है।, साध्य नहीं है। साध्य तो मोक्ष है। ध्यान के समान कोई पाप का शोधन करने वाला नहीं है। ध्यान आभ्यन्तर तप है। ध्यान संजीवनी बूटी है। ध्यान से देह की, गेह की, स्नेह की आसक्ति दूर होती है। विचारों में अनाग्रह का भाव आता है। ध्यान से व्यक्ति के जीवन में असंग्रह की भावना पैदा होती है। आचरण में अहिंसा का विकास होता है। ध्यान से शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। ध्यान में एक ध्यान है- प्रेक्षा ध्यान। प्रेक्षाध्यान ज्योति है, प्रकाश है। गहराई से से देखना ही प्रेक्षाध्यान है। योगों का स्थिरीकरण ध्यान है। मुनिश्री ने आगे कहा आज की भाषा में ध्यान के पांच हेतु है। तनाव मुक्ति मन: प्रसाद, संवेग नियंत्रण, संतोष, अन्तर्दृष्टि का जागरण है। ध्यान का जन्म कषाय, आसक्ति के त्याग से व्रत नियम धारणा व इन्दिय और मन के विजय से होता है गुरुदेव तुलसी की सन्निधि में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान का शुभारंभ किया। ध्यान दिवस पर इतना ही कहना चाहता हूं सभी भाई बहिन प्रेक्षा ध्यान की साधना के द्वारा जीवन को रुपान्तरित करें। मुनि श्री परमानंदजी ने पौषध व्रत के बारे में बताते हुए पौषध की प्रेरणा दी। इस अवसर पर बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान करते हुए प्रेक्षा ध्यान की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल उत्तर हावड़ा के मंगलाचरण से हुआ। प्रेक्षा प्रशिक्षक – प्रशिक्षिकाओं ने प्रेक्षा गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने किया।