अणुव्रतभवन- नई दिल्ली
साध्वी कुन्दनरेखा जी के सान्निध्य एवं प्रेरणा से तेरापंथ सभी दिल्ली के तत्वाधान में ‘भिक्षु भजन सन्ध्या ‘धम्म जागरण’ का कार्यक्रम धूमधाम से मनाया गया।
तत्पर
यात्रा
इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखा ने कहा – तेरापंथ स्थापना दिन का पावन अवसर, पूर्व दिशा, ईशानकोण सायं 7 बजकर 25 मिनिट, अरहंतों की शरण से पूज्य भिक्षु गणी ने अपने संतों के साथ द्रव्यदीक्षा का विसर्जन कर भाव दीक्षा स्वीकार की ! यक्षदेव चरणों की सेवा में समर्पित और संपूर्ण केलवा निवासी स्वामीजी के चरणों में श्रद्धाप्रणत हो गये। यही से तेरापंथ की शुरुआत हुई। उत्तरवर्ती आचार्यो’ रातिशील आचार्य के सफलतम नेतृत्व में यह अनवरत महाश्रमण जी के निर्देशन में सदैव विकास के आकाश की स्पर्श करती हुई आध्यात्मिक साधना के नित नये आयामों है। शतशानमन के द्वारा लक्ष्य का वरण करने को दिल्ली सभा के कर्मण, विनम्र एवं समर्पित अध्यक्ष श्रीमान सुख राज सेठिया ने कहा – यह हमारा सौभाग्य हैं कि एक गुरु के अनुशासन को प्राप्त कर हम निरन्तर गतिमान है। मर्यादा एवं सुन्दर व्यवस्थाओं के द्वारा हो निरन्तर आध्यात्मिक प्रगति के नये श द्वार उद्घाटित रहे हैं! आचार्य भिक्षु ने जो नींव लगाई थी, वह इतनी गहरी हैं कि इसे कोई हिला नहीं सकता। गुरुदेव तुलारी और आचार्य महाप्रज्ञ ने इसे अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दी आचार्य महाश्रमण जी में हम दसों आचार्यों की छवि निहार रहे है। ऐसे संघ को प्राप्त कर हम धन्य बन गये हैं। इस धम्म जागरणा में दिल्ली के प्रमुख ने अपने श्रद्धासुमनों को समर्पित करने हेतु आचार्य भिक्षु को अपने समधुर गीतों की स्वरलहरी से समा बांध दिया। गायकों ने निम्न गीतों की प्रस्तुतिदी 1. सुरेन्द्र नाहटा ने – आओ रे गुरु शरण आओ हीरा लाल गेलडा ने – तेरापंथ से भाग्य विधाता अनुराग बोधरा ने – सांवरिया स्वामी जी करण सुखानी – वेरापथ बालो
रेखा बोधरा
प्रियंका दुग्गड़
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सुरेश जैन
1
रचना सुराणा
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म्हारे मन में उचार भरयो साँसों की वीना को गीत सुहाता है।
राकेश चण्डालिया – भो कोरे धोरा री धरती में
22
भिक्षु स्वाम तो तारणहारा है ओ दीपों के लाउले
ललित सामसुखा – मंगल तेरी शरण
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चारु बोठियाँ – भिक्खूस्याम धर्मक्रान्ति रो तनिशा सामसुखा – भिक्षु को शत – 2 नमन तेजकरण जी सुराणा ने अपनी कविता के द्वारा श्रद्धासुमन अर्पित किये ।
कार्यक्रम का कुशलता से संचालन किया राकेश चण्डालिया (सांस्कृतिक प्रभारी दिल्ली सभा) ने किया साध्वी सौभाग्य यशा एवं साहबी कल्याणयशा ने तेले की तपस्या एवं अपने सुमधुर गीतों द्वारा आचार्य भिक्षु के चरणों में श्रद्रा सुमन समर्पित किये। आभार ज्ञापन किया सुरेन्द्र नाहय ने। ‘संघ गान’ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न किया गया।