🌸 *जलगांव को आध्यात्मिकता से आप्लावित करने 20 वर्षों बाद पधारे तेरापंथाधिशास्ता महाश्रमण* 🌸*-भव्य स्वागत में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, स्वागत जुलूस में दिखा सद्भाव का प्रभाव**-11 कि.मी. का विहार कर द्विदिवसीय प्रवास हेतु नूतन मराठा महाविद्यालय में पधारे शांतिदूत**-अहिंसा, संयम व तप की त्रिवेणी में डुबकी लगाए मानव : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण**-आचार्यश्री की अभिवंदना में जुटे कई मंत्री, पूर्व मंत्री व विधायक आदि गणमान्य**17.06.2024, सोमवार, जलगांव (महाराष्ट्र) :*20 वर्षों के उपरान्त खान्देश क्षेत्र के मुख्य क्षेत्र जलगांव में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ द्विदिवसीय प्रवास हेतु पधारे तो जलगांववासी भक्तिभाव में विभोर हो उठे। भव्य स्वागत जुलूस, बुलंद जयघोष, बैनर व होर्डिंग्स से सजा हुए सड़क, चौराहे व अन्य स्थान श्रद्धालुओं की आंतरिक भावना को दर्शा रहे थे। सकल जैन समाज व अन्य समाज के लोग भी मानवता के मसीहा के स्वागत हेतु उत्सुक नजर आ रहे थे। जिस मार्ग से आचार्यश्री द्विदिवसीय प्रवास के लिए निर्धारित स्थान की ओर पधार रहे थे वह श्रद्धालुओं की विराट उपस्थिति से जनाकीर्ण नजर आ रहा था।सोमवार को प्रातःकाल नशिराबाद से युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल प्रस्थान किया। उत्साही जलगांववासी मार्ग में ही पहुंच कर अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन करने लगे थे। जैसे-जैसे आचार्यश्री जलगांव के सन्निकट हो रहे थे, श्रद्धालुओं का उत्साह भी चरम की ओर पहुंच रहा था। जलगांव की सीमा में प्रवेश करते ही श्रद्धालु जनता ने बुलंद जयघोष के साथ शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का अभिनंदन किया। जलगांव को आध्यात्मिकता से आप्लावित करने के लिए शांतिदूत भव्य स्वागत जुलूस के साथ लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार जलगांव में स्थित नूतन मराठा महाविद्यालय परिसर में पधारे।मर्यादा समवसरण में उपस्थित विराट जनमेदिनी को शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्र में कहा गया है देव भी उसे नमस्कार करते हैं, जिसका मन सदा धर्म में रमा रहता है। यह धर्म की महिमा है। जिस आदमी के मन और जीवन में धर्म है, उसे मनुष्य तो क्या देवता भी नमस्कार करते हैं। धर्म की साधना से भीतरी सुख, शांति, आनंद के साथ शाश्वत सुखों की प्राप्ति होती है तथा कभी मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है। प्रश्न हो सकता है कि किस धर्म के द्वारा मोक्ष व शांति की प्राप्ति हो सकती है? जैन आगमों में एक आगम दसवेआलियं का पहला श्लोक में बताया गया कि अहिंसा, संयम और तप धर्म है। इस त्रिवेणी में जो स्नान कर लेता है, वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।अहिंसा को कोई भी अपने जीवन में उतारेगा उसका कल्याण होगा। संयम को जीवन में लाने वाला कोई भी मनुष्य हो, उसका भला और कोई भी तप करे, उस आदमी शोधन होगा और मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। साधु अहिंसा के पालक होते हैं। तन, मन व वचन से दुःख नहीं देने वाले होते हैं। उनका जीवन अहिंसामय होता है। दुनिया में साधु और संत हमेशा रहते हैं। साधुओं का जीवन संयम से भी युक्त होता है। साधुओं के ही नहीं, गृहस्थों मंे भी अहिंसा, संयम और तप की साधना देखी जा सकती है।चौरासी लाख जीव योनियों में दुर्लभ मानव जीवन का धर्म में सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। संकट आने पर भी आदमी को धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। जहां सच्चाई और ईमानदारी होती है, वहां लक्ष्मी का वास भी हो सकता है। इससे भीतर में शुद्धता भी रह सकती है। गृहस्थों के जीवन में ईमानदारी व सच्चाई का मनोभाव भी पुष्ट रहे। ईमानदारी सभी के लिए कल्याणकारी होती है। नास्तिक भी यदि ईमारदारी रखे तो उसके लिए कल्याण की बात हो सकती है। और सम्पत्ति को कभी समाप्त भी हो सकता है, किन्तु ईमानदारी रूपी सम्पत्ति सदैव रहने वाली होती है। सच्चाई परेशान हो सकती है, पराजित नहीं होती। अंतिम विजय सच्चाई की होती है। गृहस्थों के जीवन में सच्चाई और ईमानदारी का प्रभाव बना रहे। आदमी के जीवन में छोटे-छोटे नियम रहते हैं, तो जीवन का कल्याण हो सकता है। गृहस्थों के जीवन में सच्चाई व ईमानदारी के प्रति रुझान रखने का प्रयास होना चाहिए।आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज हमारा जलगांव आना हुआ है। गुरुदेव महाप्रज्ञजी ने यहां चतुर्मास किया था, उस समय मेरा भी आना हुआ था। बीस वर्षों बाद आज पुनः आना हुआ है। यहां की जनता में खूब धार्मिकता का प्रभाव बना रहे। अहिंसा, संयम व तप जनता के भावों में फलते-फूलते रहें।आचार्यश्री के मंगल प्रवचन उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। स्थानीय तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री जितेन्द्र चोरड़िया, जलगांव सांसद श्रीमती स्मिता वाघ, सकल जैन संघ के अध्यक्ष श्री दलीचंद जैन, स्वागताध्यक्ष श्री सुरेश दादा जैन व पूर्व सांसद ईश्वर जैन ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। श्रीमती कंचनदेवी छाजेड़ ने 51 व श्रीमती शारदादेवी पुगलिया 31 की तपस्या की प्रत्याख्यान किया।जलगांव के पालक मंत्री श्री गुलाबराव पाटिल ने आचार्यश्री के स्वागत में कहा कि मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी का जलगांव की जनता की ओर से हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। जामनेर विधायक व महाराष्ट्र राज्य के ग्रामीण विकास व पर्यटन मंत्री श्री गिरीश महाजन ने कहा कि युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज जलगांव में शुभागमन हुआ है। यह हम सभी के लिए परम सौभाग्य की बात है। आपका यहां आगमन हम सभी के प्रसन्नता का विषय है। जलगांव के विधायक श्री सुरेश भोले (मामा) ने कहा कि आज महान संत आचार्यश्री महाश्रमणजी के पदार्पण से पूरा जलगांव उल्लसित है। मैं आपका हार्दिक स्वागत करता हूं।