🌸 जामनेर को आध्यात्मिक अभिसिंचन प्रदान करने पधारे अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-जामनेरवासियों ने राष्ट्रसंत का किया भावभीना अभिनंदन, श्री महावीर भवन में हुआ पावन प्रवास
-सकारात्मक और वास्तविक चिंतन करे मानव : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
-जामनेर की जनता ने मानवता के मसीहा के अभिनंदन में दी भावनाओं की अभिव्यक्ति
12.06.2024, बुधवार, जामनेर, जलगांव (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र राज्य के कोंकण, मराठवाड़ा, विदर्भ आदि की यात्रा सुसम्पन्न करने के उपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ददीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान में खान्देश क्षेत्र को पावन बना रहे हैं। खान्देश की यात्रा के दौरान बुधवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ गतिमान हुए। आसमान में छाए बादलों के कारण सूर्य ओझल था। इसलिए प्रातः की हवा में शीतलता व्याप्त थी। आज आचार्यश्री जलगांव जिले के जामनेर कस्बे की ओर पधार रहे थे। जामनेर में लगभग चार सौ जैनी परिवार हैं। जामनेर में आचार्यश्री के आगमन की प्रसन्नता लोगों की प्रसन्न मुखाकृति और उनके उत्साह को देखकर अनुमानित की जा सकती थी। उत्साही श्रद्धालु मार्ग में ही आचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित हो रहे थे। लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही जामनेर की सीमा में पधारे जामनेर के बाहरी भाग में उपस्थित श्रद्धालु जनता ने भावभीना अभिनंदन किया। वहीं स्थित लॉर्ड गणेशा स्कूल में आचार्यश्री ने सैंकड़ों बच्चों को पावन प्रेरणा व मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। तदुपरान्त वहां से जुलूस के रूप में उत्साही जनता अपने आराध्य के आगे-आगे जयघोष करती हुई गतिमान थी। इस जुलूस में आपसी सद्भावना दिखाई दे रही थी। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री जामनेर के गुरु गणेश नगर में स्थित श्री महावीर भवन में पधारे। जामनेर के लिए उल्लेखनीय तथ्य यह है कि यहां इससे पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता आचार्यश्री तुलसी, दसवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी भी पधार चुके हैं। तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता की उपस्थिति का प्रसंग जनता को भावविभोर बना रहा था। आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम मंे शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का खान्देश स्तरीय स्वागत समारोह भी आयोजित किया गया था। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनमेदिनी को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी का चित्त अथवा मन बहुत चंचल होता है। कुछ ही समय में आदमी के भीतर अनेक प्रकार के भाव उभरते हैं। आदमी कभी अहिंसा की चेतना से ओतप्रोत होता है तो कभी हिंसा के लिए व्यग्र हो जाता है। कभी शांति में तो कभी गुस्से नजर आता है। कभी संतोष का भाव तो कभी लालच के भाव से भावित होता है। एक ही आदमी के भीतर अच्छे और बुरे भाव दोनों ही नजर आ सकते हैं। बुरे विचारों और कार्यों के लिए मोहनीय कर्म जिम्मेदार होते हैं। आदमी को यह प्रयास करना चाहिए मोहनीय कर्म प्रतनु पड़ें और आदमी के भीतर सद्गुणों व सद्विचारों का विकास हो। मानव जीवन में अनेक समस्याएं आ सकती हैं, उन समस्याओं के निदान का प्रयास हो। समस्याओं के आने के बाद भी आदमी के चित्त में शांति, समताभाव, समाधि बनी रहे। आदमी को अपने चिंतन को सकारात्मक व वास्तविक रखने का प्रयास करना चाहिए। कहा गया है कि आदमी चिंतन से ही सुखी और चिंतन से ही दुःखी बनता है। इसलिए आदमी को अपने चिंतन को प्रशस्त बनाने का प्रयास करना चाहिए। निंदा-प्रशंसा, सुख-दुःख, लाभ-हानि आदि परिस्थितियों में भी आदमी को अपना चिंतन प्रशस्त रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने जामनेरवासियों को पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज जामनेर आना हो गया। यहां के लोगों में धार्मिकता का प्रभाव बना रहे। मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी जामनेर की जनता को उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में बालक विहान कोठारी, स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल, स्थानीय तेरापंथ नवयुवक व जामनेर श्रीसंघ की महिलाओं ने गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथी सभाध्यक्ष श्री पवन सांखला, श्री संघ-जामनेर की ओर से श्री सचिन चौपड़ा, लॉर्ड गणेशा स्कूल के सचिव श्री अभय बोहरा, खान्देश सभा के अध्यक्ष री नानकराम तनेजा, श्री अनिल सांखला व श्री ऋषभजी, श्रीमती भाग्यश्री रांका, पूर्व सांसद श्री ईश्वर बाबू ललवानी, श्री अभय सांखला, श्री वी.सी. भलावत व श्री बाबूलाल बाफना ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। पाठशाला के बच्चों ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।