आचार्य श्री महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव का भव्य आयोजन
सिद्ध साधक है-आचार्य श्री महाश्रमण – मुनिश्री जिनेश कुमारजी
उत्तर हावड़ा
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के दीक्षा के – 50 वर्ष की सम्पन्नता पर आचार्य श्री महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव का भव्य आयोजन सुशिष्य मुनिश्री जिनेशकुमार जी ठाणा -3 के सान्निध्य में उत्तर हावड़ा स्थित श्रीराम वाटिका में उत्तरहावड़ा श्रीजैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया।
इस अवसर पर श्री अर्जुन राम जी मेघवाल (विधि एवं न्यायमंत्री भारत सरकार) की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा- अनुत्तर श्रद्धा, अप्रतिहत निर्णय शक्ति, अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोग, अप्रतिम करुणा, अविरल चारित्र एवं उपशम कषाय के समुच्चया का नाम है- आचार्य श्री महाश्रमण वे मानवता के मसीहा शांति के देवता वीतरागता की प्रतिमुर्ति है। वे सिद्ध साधक अनुत्तर संयमयोगी, विनय वात्सल्य से भरपूर निश्छल व्यक्तित्व के धनी है। उनका कर्तृत्व बेजोड़ है। उनकी उज्ज्वल जीवन गाथा सबके लिए प्रेरणा स्पद है। वे ज्ञान के हिमालय, दर्शन के दृढ़स्तंभ, चारित्र के चूड़ामणि और विनय के सुमेरू है। उनकी संघनिष्ठा, गुरुनिष्ठा, मर्यादा निष्ठा, सिद्धान्त निष्ठा, आचार निष्ठा अनुत्तर है। समय समय पर समाज में व्याप्त बुराईयों व कुरुढियों पर प्रहार करते हैं। वे प्रदर्शन नहीं निदर्शन की साधना पर बल देते है। व्यक्ति को स्वार्थ से ऊपर उठकर कार्य करना चाहिए। मन में द्वेष भाव ने रखे सौहार्द और शांति का विकास करें। संस्कारों व संस्कृति की सुरक्षा के प्रति सजग रहे। वे आज वैशाख शुक्ला चतुर्दशी के दिन सरदारशहर में आचार्य श्री तुलसी की आज्ञा से मुनिश्री सुमेरमलजी। लाडनूं के करकमलों से दीक्षित हुए। मुनिश्री उदित कुमार जी उनके सहदीक्षित है। उनकी प्रतिभा एवं निष्ठा को देखकर आचार्य श्री तुलसी ने उनको महाश्रमण अलंकरण से अलंकृत किया और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें युवाचार्य के – पद पर प्रतिष्ठित किया। उन्होंने आचार्य बनने के बाद भारत, भूटान व नेपाल की पद यात्राएँ की। लाखों-लाखों लोगों को अहिंसा यात्रा के जरिये सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति का पावन संदेश प्रदान किया। उनके दीक्षा के 50 वर्षों की सम्पन्नता पर मंगलकामना करते हैं कि वे दीर्घायु हो, निरामय रहते हुए दीर्घकाल तक मानव समाज का पथ दर्शन करते रहें। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर – गीत का संगान किया। इस अवसर पर विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा- मैं आचार्य श्री महाश्रमण जी से निकटता से जुड़ा हुआ हूँ। वर्ष में अनेक बार उनके दर्शनों का सौभाग्य मुझे प्राप्त होता रहता है। आचार्य श्री तुलसी के प्रवचनों को सुनकर अणुव्रती बनी। मुझ पर आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की विशेष कृपा थी।
कार्यक्रम की शुभारंभ सामायिक के साथ नमस्कार महामंत्र के जप से
अनुष्ठान से हुआ। अभ्यर्थना गीत उत्तर हावड़ा तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण उत्तर हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राकेश जी संचेती ने दिया । तेरापंथ कन्या मंडल ने महाश्रमण अष्टकम् का संगान किया । अभ्यर्थना के क्रम में कोलकाता सभा के अध्यक्ष अजय जी भंसाली, साउथ हावड़ा से सभा के मंत्री बसंत पटावरी, साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष विनोदजी चोरड़िया, पूर्वाचल सभा के मुख्यन्यासी बाबूलालजी गंग, सॉल्टलेक सभा के अध्यक्ष रूपचंदजी सेठिया, लिलुआ सभा के अध्यक्ष प्रमिलजी बाफणा, टोलीगंज सभा के अध्यक्ष अशोक जी पारख, उत्तर कोलकाता के सभा के अध्यक्ष विनोद जी बैद, बाली-बेलुर सभा के अध्यक्ष शुभकरण जी दुगड़, बेहाला सभा के नवनिवार्चित अध्यक्ष अशोक सिंघी ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री सुरेन्द्र बोथरा ने व संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया।
केन्द्रिय मंत्री अर्जुनरामजी मेघवाल का सभा द्वारा सम्मान किया गया। मुनिश्री जिनेशकुमार जी द्वारा रचित गीतों का फोल्डर श्रद्धा स्तुति उत्तर हावड़ा सभा ट्रस्ट द्वारा अनावरण किया गया। इस अवसर पर बृहत्तर कोलकाता से अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।