🌸 महातपस्वी महाश्रमण ने की अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष व यात्रा की सम्पन्नता की घोषणा 🌸
-लोणेर में पुनरागमन, आनंद नगर में शांतिदूत की सन्निधि में सम्पूर्ति समारोह सम्पन्न
-जन-जन के लिए कल्याणकारी है अणुव्रत : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी ने सम्पूर्ति समारोह को किया सम्बोधित
12.03.2024, मंगलवार, लोणेर, रायगड (महाराष्ट्र) : 21 फरवरी 2023 को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अणुव्रत आन्दोलन के 75वें वर्ष के प्रारम्भ होने के संदर्भ में अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष का शुभारम्भ करने के साथ अपनी आगामी यात्रा को अणुव्रत यात्रा के रूप में घोषित किया था। वर्ष भर में देश-विदेश तथा आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आयोजित होने वाले अनेकानेक कार्यक्रमों के उपरान्त 12 मार्च 2024 को कोंकण क्षेत्र के लोणेर गांव में वर्तमान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 11 बजकर एक मिनट पर अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष व अणुव्रत यात्रा की सम्पन्नता की घोषणा कर दी। इस दौरान अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी व अणुव्रत अमृत महोत्सव से संदर्भित लोग पूज्य सन्निधि में उपस्थित होकर अपनी भावपूर्ण प्रणति अर्पित की। सोमवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग पुनः राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-66 पर लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर लोणेर के आनंद नगर में बने बिल्डिंग में पधारे। आज अणुव्रत अमृत महोत्सव सम्पूर्ति समारोह के त्रिदिवसीय आयोजन का मुख्य दिवस भी था। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। आचार्यश्री ने अणुव्रत गीत का आंशिक संगान किया। अणुव्रत अमृत महोत्सव के संयोजक श्री संचय जैन, परामर्शक सदस्य श्री गौतम चोरड़िया, अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर व प्रबन्ध न्यासी श्री तेजकरण सुराणा ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी, साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी व मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने इस सम्पूर्ति समारोह में उपस्थित जनता को उद्बोधित किए। महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि तेरापंथ के आद्य आचार्यश्री भिक्षु ने अपना दर्शन दिया। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन को व्यापक रूप प्रदान किया। उन्होंने अपने गुरु परम पूज्य कालूगणी के जन्मतिथि फाल्गुन शुक्ला द्वितीया को प्रारम्भ किया था। आज उसके 75 वर्ष पूर्ण हो गए हैं। आज भी फाल्गुन शुक्ला द्वितीया है। आज के दिन को अणुव्रत का जन्मदिन भी मान सकते हैं। 75वें वर्ष के संदर्भ में जो अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष प्रारम्भ किया गया था, जो अणुव्रत यात्रा प्रारम्भ की गई थी, आज उसके समापन की घोषणा करने की बात है। अणुव्रत के नियम जन-जन का कल्याण करने वाली है। सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति जीवन में रहे, इहलोक के साथ परलोक भी अच्छा हो सकता है। अणुव्रत का कार्य अच्छे रूप में चलता रहे। मंगल प्रवचन के दौरान ही आचार्यश्री ने अणुव्रत गीत के शेष पद्यों का संगान करते हुए 11 बजकर एक मिनट पर कहा कि अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष व अणुव्रत यात्रा की सम्पन्नता की घोषणा की जा रही है। तदुपरान्त आचार्यश्री ने आगे प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि अणुव्रत के 50वें वर्ष के अवसर आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की मंगल सन्निधि में आयोजित कार्यक्रम में मैंने शताब्दी वर्ष के संदर्भ में कुछ भाषण आदि के माध्यम से चिंतन दिया था। उसे देख लेने अथवा सुन लेने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने अणुव्रत के उद्घोष भी कराए। तदुपरान्त अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री प्रताप दूगड़ ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन अणुव्रत अमृत महोत्सव के संयोजक श्री संचय जैन ने किया।