






दिल्ली, तेरापंथ भवन सेक्टर-5, रोहिणी (दिल्ली) में- साध्वी डॉ. कुन्दन रेखा जी के सानिध्य में ‘दीक्षा’अमृत महोत्सव’ का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विजय जैन, दिल्ली सभा के मंत्री श्री संजीव जैन मुख्य रूप से उपस्थित थे, जिन्होंने अपने गुरु के 50वें संयम अमृत- महोत्सव पर दीर्घायु की मंगलकामना की तथा युगो युगो तक प्रभु सन्निधी को प्राप्त करने की अपनी मंगल भावना व्यक्त की। अपने विचार प्रस्तुत करते हुए साध्वी कुन्दनरेखा ने कहा- करुणां की मूरत है महाश्रमण, समता की सूरत है महाश्रमण संयम अनुत्तर है उस महापुरुष का, गुणों की कीरत हैं प्रभु महाश्रमण
आचार्य महाश्रमण का व्यक्तित्व, कर्तृत्व और नेतृत्व विलक्षण है। अपने विलक्षणता से आपने दुनियाँ के दिलों को जीता है। हे तेरापंथ धर्म संघ के सरताज, हमारी अनन्त पुण्याई है कि आप जैसे तीर्थकर तुल्य गुरु प्राप्त हुए। आप चिरायु हो, निरामय रहे यही हमारी शुभ भावना है।
साध्वी सौभाग्ययशा ने कहा – आचार्य महाश्रमण जी का इन्द्रिय संयम वाणी संयम, खाद्य संयम एवं उपशम कषाय अनुपम है, जो वर्तमान मे कार्यक्रम का महात्मा बुद्ध की याद दिलाती है ” सरदारशहर के लाल, भारत भू के भाल आचार्य महाश्रमण जी अपनी श्रम चेतना, संयम चेतना और समता-चेतना से अन्तर्ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, और वह ज्ञान दुनियाँ में बाँट रहे हैं, शतशः नमन । साध्वी कल्याण यशा ने कहा-आचार्य श्री महाश्रमण की स्थिर प्रज्ञतता बेजोड़ है, हर कार्य में समय नियमन अनुपम है, उनकी दृष्टि और वाणी का संयम अनुत्तर है। उनके कण कण से श्रम निष्ठा, शमनिष्ठा, और उपशम निष्ठा अनुपमेय है – शतशः नमन। साध्वी कर्त्तव्ययशा ने कहा – आचार्यश्री के व्यक्तित्व को किसी उपमा से उपमित नहीं किया जा सकता। उनका ‘चिंतन चिंतामणी और कल्पना ही कल्पवृक्ष एवं कामनाएं ही कामधेनु है। विमला सुराणा, राजू रारवेचा ममता डागा तथा निर्मला बैद ने मधुर गीत का संगान तथा श्रीमति सुशीला पुगलिया ने महाश्रमण अष्टकम्’ द्वारा मंगलाचरण किया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन किया साध्वी कल्याण यशा जी ने किया।


