🌸 परिश्रम के बिना निष्पत्ति संभव नहीं : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-ज्ञान के विकास के लिए आवश्यक तथ्यों को आचार्यश्री ने किया व्याख्यायित
-पूज्य सन्निधि में पहुंची मनसे संस्थापक राज ठाकरे की धर्मपत्नी शर्मिला ठाकरे
-मुस्लिम समाज के महिला-पुरुषों ने मांसाहार त्याग का ग्रहण किया संकल्प
10.12.2023, रविवार, सांताक्रूज, मुम्बई (महाराष्ट्र) : जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अणुव्रत यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान समय में सांताक्रूज में स्थित एस.एन.डी.टी. महिला विद्यापीठ में विराजमान हैं। सांताक्रूज का चार दिवसीय प्रवास इसी परिसर में हो रहा है। रविवार को महातपस्वी आचार्यश्री ने विद्यापीठ के प्ले ग्राउण्ड में बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध दिया। साथ ही आज के कार्यक्रम में उपस्थित मुस्लिम समुदाय के दर्जन भर से अधिक महिला व पुरुषों ने आचार्यश्री की प्रेरणा से मांसाहार आसेवन का त्याग किया। कार्यक्रम के अंत में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के संस्थापक श्री राज ठाकरे की धर्मपत्नी श्रीमती शर्मिला ठाकरे भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुईं। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने सेवा का अवसर भी प्रदान किया। रविवार को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एस.एन.डी.टी. महिला विद्यापीठ में अपने प्रवास के तीसरे दिन तीर्थंकर समवसरण में उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मोक्ष का चतुरंग मार्ग बताया गया है- ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप। मानव जीवन में चारित्र का बहुत महत्त्व है। यह मोक्ष प्राप्ति का तीसरा मार्ग बताया गया है, किन्तु सम्यक् ज्ञान के बिना चारित्र संभव नहीं हो सकता। चारित्र की आराधना के लिए सम्यक् ज्ञान की आवश्यकता होती है। ज्ञान के बिना चारित्र का विकास संभव नहीं। जीवन में ज्ञान का परम महत्त्व है। ज्ञान अनेक प्रकार का होता है। इसके लिए दुनिया में कितने-कितने माध्यम भी हैं। शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी पढ़ते हैं और कितने-कितने शिक्षक यहां शिक्षा प्रदान करने वाले होते हैं। धर्म के क्षेत्र में ज्ञान का महत्त्व है। यहां भी आचार्यों, उपाध्यायों से ज्ञान की प्राप्ति होती है। कहा गया है कि सदा स्वाध्याय में रत रहो। स्वाध्याय से ज्ञान निर्मल होता है और ज्ञान का विकास भी होता है। ज्ञान प्राप्ति के लिए कितना त्याग और श्रम करना होता है। अध्यात्म विद्या का ज्ञान भी आवश्यक होता है। कितने-कितने धार्मिक ग्रन्थ हैं। ज्ञान के बिना किसी भी दिशा में आगे बढ़ना खतरनाक हो सकता है। ज्ञान प्राप्ति के लिए श्रम करना पड़ता है, समय लगाना पड़ता है, भीतर में निष्ठा भी होनी चाहिए। निष्ठा से युक्त, श्रम करने वाला समय लगाने वाला आदमी विशेष प्रतिभाशाली हो सकता है। ज्ञान एक प्रकाश है। जिस प्रकार अंधेरे में आदमी कहीं गलत रास्ते पर चला जाता है, किन्तु यदि ज्ञान का प्रकाश होता है तो आदमी सटिक रास्ते पर जा सकता है। इसके माध्यम से साधना का पथ भी आलोकित होता है। इसलिए आदमी को ज्ञानाराधना करने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान को बढ़ाने के लिए निरंतर स्वाध्याय, सीखे हुए ज्ञान को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए ज्ञान का पुनरावर्तन भी करने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान प्राप्ति के लिए विशेष परिश्रम और श्रम किया जाता है तो निष्पत्ति संभव हो सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्याजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। तेरापंथ कन्या मण्डल की सदस्याओं ने अपनी प्रस्तुति देने के उपरान्त संकल्पों का उपहार भी अपने आराध्य के समक्ष प्रस्तुत किया। तेरापंथ युवक परिषद-सांताक्रूज के अध्यक्ष श्री महेश परमार ने अपनी अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेयुप के सदस्यों ने गीत का संगान भी किया। तेरापंथ किशोर मण्डल ने भी अपनी प्रस्तुति दी। आज कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में काफी संख्या में मुस्लिम महिला व पुरुष उपस्थित थे। आचार्यश्री की प्रेरणा से उन लोगों ने आचार्यश्री से मांसाहार का त्याग करने का संकल्प स्वीकार किया। इस संदर्भ में खातून आपा व राजूबिन शेख ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें संकल्प कराते हुए पावन आशीर्वाद भी प्रदान किया। आचार्यश्री ने टीपीएफ द्वारा आयोजित मेडिकल कैंप के संदर्भ में संबंधित लोगों को मंगलपाठ भी सुनाया। कार्यक्रम के अंत में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के संस्थापक श्री राज ठाकरे की धर्मपत्नी श्रीमती शर्मिला ठाकरे भी आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुईं। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन करने के उपरान्त अपनी अभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने उन्हें सेवा का अवसर भी प्रदान किया। आचार्यश्री की सेवा करने और आशीष प्राप्त करने के उपरान्त वे गंतव्य को रवाना हो गईं।