

रिपोर्ट: गिर्राज सिंह
ब्यूरो चीफ मथुरा
की लाइन टाइम्स
मथुरा, यमुना नदी का रौंद्र रूप अब बृजवासियों को डराने लगा है। खादर क्षेत्र को पूरी तरह जल प्लावित करने के बाद नदी का जल आवासीय क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है। उधर दिल्ली से छोड़े जा रहे जल को लेकर अफवाह का दौर चल रहा है। हर जगह चर्चा है कि अभी यमुना के जल में कितनी बढ़ोत्तरी होगी। मथुरा शहर में बंगाली घाट से मंदिर द्वारिका धीश जाने वाली सड़क यमुना जल से डूब चुकी है वही वृंदावन नगर के काफी हिस्से में जल भर गया है। प्रमुख देवी कात्यानी मंदिर में यमुना जल हिलोरें मार रहा है।
मथुरा-वृंदावन शहरी क्षेत्र में यमुना के आसपास रहने वाले लोग विधुत सप्लाई बांधित होने से जहां पड़ रही भीषण गर्मी में बगैर एसी कूलर पंखा के रहना पड रहा है तो वहीं पेयजल की बूंद बूंद को तरस गये है। यह समस्या ट्रांसफार्मरों तक पहुंचे बाढ़ के पानी के कारण जिला प्रशासन द्वारा बाधित कराई गयी विधुत सप्लाई के चलते उत्पन्न हुई है। विधुत आपर्ति न मिलने से लोगों के सबमर्सिबल आदि बंद पडे है जिससे उक्त क्षेत्रों में भयंकर पेजजल संकट उत्पन्न हो गया है। संबंधित इलाकों में 50 घंटे से अधिक से विद्युत सप्लाई ठप बताई जा रही है। बाढ का पानी शहर में द्वारिकाधीश मंदिर जाने वाले रास्तों पर करीब एक-एक फुट तक आ गया है जिससे प्रशासन ने विश्राम घाट और बंगाली घाट जाने वाले रास्तों को बल्ली व टीन लगा कर बंद कर दिया है। इसके अलावा औरगांबाद क्षेत्र की अधिकांश कॉलौनियों में बाढ का पानी प्रवेश कर गया है। रॉची बांगर सहित सभी कॉलौनी जल प्लावित हो गयी है। शहरी क्षेत्रों की बात करें तो धु्रव घाट स्थित श्मशान घाट की सीढियांे तक पानी आ गया है। हालात ऐसे बन गये है कि यदि जल स्तर इसी तरह ही बढता रहा तो सांय काल यमुना का जल बगीची में प्रवेश कर वहां मौजूद श्मशानेश्वर महादेव का अभिषेक करेगा। यमुना किनारें वसी श्याम सुन्दर कॉलौनी, कन्हैया कुंज कॉलौनी और सदर क्षेत्र के महादेव घाट आदि में भारी मात्रा में बाढ़ का पानी आ चुका है। जिला प्रशासन और नगर निगम पीड़ित लोगो की मदद में जुटा हुआ है।संख्या 19 की रामनगर व वार्ड संख्या 14 की तिवारीपुरम कॉलौनी में आये बाढ़ के पानी में फसे लोगों को स्टीमर में बिठाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। इसके अलावा जयसिंह पुरा खादर स्थित बसी अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को स्टीमर द्वारा निकाल कर जयसिंपुरा स्थित रूहानी सतसंग भवन में बने राहत कैंप में भेजा गया।
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासंघ के अमित भारद्वाज ने यमुना नदी के रौंद्र रूप धारण करने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि करीब 40 वर्ष पूर्व गोकुल के पौराणिक मुरलीधर घाट पर यमुना गोकुल बैराज बनने से पूर्व प्रवाहित होती थी, इस बार की बाढ़ में यमुनाजी अपने स्थान पर लौटी है। बैराज बनने के दौरान मुरलीधर घाट सहित अन्य घाटों पर एक धारा नहर के रूप में प्रवाहित करने का प्रस्ताव हुआ लेकिन उस समय धरातल पर वह मूर्त रूप नहीं ले पाया। वर्तमान में उत्तर प्रदेश तीर्थ विकास परिषद गोकुल के विकास व सौदर्यीकरण के लिए कार्य कर रही है उसे चाहिए कि इस पुराने प्रस्ताव पर भी कार्य करें जिससे यहां के घाटों का सौंदर्य व पौराणिक महिमा बनी रहे।



