

पातलिया दंपति ने शादी की तीसरी सालगिरह पर मरणोपरांत देहदान की घोषणा की
धोरीमन्ना – गर्व की बात है कि पिछले एक दशक से मृत्यु के पश्चात अपनी देह का दान करने में लोगों की रुचि बढ़ रही है। बात करे बाड़मेर की तो मेडिकल कॉलेज बनने के बाद अबतक 47 घोषणाएं हो चुकी है एवम 2 बॉडी प्राप्त भी कर चुके है। मृत्यु के बाद हमारा नश्वर शरीर किसी ना किसी रुप में काम आएगा,ऐसी नि:स्वार्थ सोच ने देहदान करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी की है। इसी कड़ी में बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना उपखंड अंतर्गत राणासर कल्ला निवासी गणपत पातलिया व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शारदा भारतीय ने गुरुवार को अपने मित्र के जन्मदिन व खुद की शादी के तीन वर्ष पूर्ण होने पर देहदान करने का संकल्प लिया। पातलिया दंपति ने शुक्रवार को बाड़मेर मेडिकल कॉलेज को देहदान घोषणा पत्र सौंपते हुए पेशे से शिक्षक गणपत पातलिया ने कहा मैंने अपने जीवन काल में शिक्षक के रूप में बालकों को शिक्षा दी। हमारे निधन के उपरांत हमारी मृत देह से मेडिकल के छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर कुशल डाक्टर बनकर राष्ट्र की सेवा करे,इस उद्देश्य से देहदान की घोषणा कर रहे हैं। उन्होंने कहा की हमारे यहां अमूनन अंधविश्वास बना हुआ है की देहदान करने से मोक्ष की प्राप्ति नही होती इसलिए डेड बॉडी को जलाया या दफनाया जाता है लेकिन मैं ऐसे अंधविश्वास से इत्तेफाक नहीं रखता मुझे यह प्रेरणा तगाराम खती उदाराम मेघवाल अमराराम व मेरे आदर्श मित्रो से मिली। शारदा भारतीय ने अपने पीहर व ससुराल वालो का आभार जताया जिन्होंने देहदान करने की अनुमति दी।


