






🌸 अंधेरी में आध्यात्मिक उजाला फैलाने पहुंचे अध्यात्मिक गुरु आचार्य महाश्रमण 🌸
-अंधेरीवासियों का खुला भाग्य, महातपस्वी करेंगे चार दिन तक प्रवास
-स्वाध्याय से करें संवर एवं ज्ञान में वृद्धि : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
-अंधेरीवासियों ने अपने आराध्य के अभिवंदना में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति
-भाजपा सांसद व अभिनेत्री हेमामालिनी व संजीव कपूर ने किए आचार्यश्री के दर्शन
03.12.2023, रविवार, अंधेरी, मुम्बई (महाराष्ट्र) : मायानगरी मुम्बई के अंधेरी में अध्यात्म का उजाला फैलाने को रविवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अध्यात्म जगत के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल रश्मियों के साथ पधारे तो अंधेरीवासी प्रसन्नता से झूम उठे। अंधेरीवासियों ने भव्य जुलूस के साथ अपने आराध्य का अभिवादन किया। उनके द्वारा उच्चरित जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। अंधेरी में चार दिन तक आचार्यश्री महाश्रमणजी ज्ञान और अध्यात्म का प्रकाश फैलाएंगे। रविवार को प्रातः महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने जोगेश्वरी से मंगल प्रस्थान किया। आज आचार्यश्री मायानगरी मुम्बई के उपनगर अंधेरी की ओर गतिमान हुए। जन-जन का उत्साह देखने लायक था। मार्ग में आने वाले श्रद्धालुओं के घरों, प्रतिष्ठानों, व सामाजिक स्थानों पर आचार्यश्री रूकते, मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे अंधेरीवासियों का उत्साह भी बढ़ता जा रहा था। उत्तर भारत में जहां सर्दी अपना रंग जमाए हुए, वहां मुम्बई में महातपस्वी के तन से बरसती श्रम बूंदे श्रद्धालुओं को अभिभूत बना रही थी। सभी की भावनाओं को स्वीकार करते वह लोगों पर आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री भव्य स्वागत जुलूस के साथ अंधेरी-जुहू एरिया में स्थित ललित कुटिर में पधारे। प्रवास स्थल से सामने की ओर स्थित तिलक उद्यान में बने महाश्रमण समवसरण में उपस्थित जनता को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि संवर और निर्जरा में धर्म को समाहित किया जा सकता है। संवर के माध्यम से पापकर्मों के आने मार्ग बंद हो जाता है और तप, स्वाध्याय और साधना के द्वारा पूर्वकृत कर्मों का निर्जरण होता है। निर्जरा तो प्रथम गुणस्थान में भी हो सकता है, किन्तु संवर चौथे गुणस्थान में प्राप्त होता है। संवर का सबसे सशक्त माध्यम स्वाध्याय है। स्वाध्याय से ज्ञान की प्राप्ति और उसकी वृद्धि भी होती है। स्वाध्याय के लिए मन को एकाग्र करना और कुछ त्याग करना पड़ता है। स्वाध्याय के लिए नींद का भी त्याग करना होता है। हास-परिहास, व्यर्थ बातों से विरत रहने, स्वाध्याय के प्रति लगाव और रूचि होना भी जरूरी है। ज्ञान प्राप्ति के समर्पित होना चाहिए। ज्ञान की प्राप्ति के लिए साधन सामग्री, लगन, प्रतिभा, योग्य गुरु की भी आवश्यकता होती है। ज्ञान प्राप्ति के लिए दुनिया भर में विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय बने हुए हैं। यह ज्ञान प्राप्ति के स्थान हैं। यहां कितने ज्ञान के उपक्रम चलते हैं। ज्ञान के साथ-साथ संस्कार का भी विकास हो तो ज्ञान का अच्छा विकास हो सकता है। धार्मिक-आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त होता रहे तो आदमी पापों से भी बच सकता है। संतों के माध्यम से अध्यात्म की चेतना का विकास होता है। सत्संगति से सद्ज्ञान, सद्प्रेरणा का विकास संभव हो सकता है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी ने जनता को उद्बोधित किया। अंधेरी सभा के अध्यक्ष श्री चैनरूप दूगड़ व मंत्री श्री ललित लोढ़ा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल ने गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल की कन्याओं ने अपनी प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में स्थानीय सांसद श्री गजानंद कीर्ति ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। दोपहर बाद भाजपा की सांसद हेमामालिनी और प्रसिद्ध सेफ संजीव कपूर ने आचार्यश्री के दर्शन किए और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद तथा पाथेय प्राप्त किए।







