



प्रोफेशनल लाइफ में ऊंचाई का सफर तय कर अब आध्यात्म की ओर अग्रसर 77 वर्षीय CA धनराज बैद।
भरा-पूरा परिवार छोड़ 22 नवंबर को मुंबई में ग्रहण करेंगे जैन साधु दीक्षा।
पेशे से CA एवं CS, देश की प्रसिद्ध CA फर्म चतुर्वेदी एंड कंपनी की दिल्ली ब्रांच के संस्थापक, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC), नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL), नैशनल हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कारपोरेशन लिमिटेड (NHPC) जैसी बड़ी कंपनियों के ऑडिटर रहे श्री धनराज बैद, जैन तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य श्री महाश्रमण के वरदहस्त से मुंबई के नंदनवन में जैन दीक्षा स्वीकार कर आध्यात्म की दिशा में अग्रसर होने जा रहे है।p राजस्थान के राजलदेसर में पले बढ़े धनराज बैद ने महज 22 वर्ष की उम्र में ही CA की प्रोफेशनल डिग्री प्राप्त कर ली थी और उसके तुरंत बाद आपने CS की डिग्री प्राप्त की। 65 वर्ष की वय में जैनोलॉजी में MA की डिग्री प्राप्त की ।
आपने देश की राजधानी दिल्ली को अपनी कर्मभूमि बनाया एवं वहां देश की प्रसिद्ध CA फर्म चतुर्वेदी एंड कंपनी की दिल्ली ब्रांच की स्थापना की। 50 वर्षों से अधिक अपनी प्रोफेशनल लाइफ में आपने नैतिकता, ईमानदारी एवं अपने गुरु के प्रति की श्रद्धा से सफलता के शिखरों पर पहुंचे लेकिन साथ ही साथ आप धार्मिक संस्कारों से ओत: प्रोत रहे। व्यापार के साथ ही सामायिक, ध्यान स्वाध्याय, धार्मिक आराधना करना आपका नियमित क्रम रहा।
तेरापंथ के नवम आचार्य श्री तुलसी की प्रेरणा ने आपके जीवन को नया मोड़ दे दिया और धार्मिक प्रवृत्तियों में और अधिक समय लगाने लग गए। साथ ही आपने प्रतिमाधारी श्रावक की साधना पूरी की। ज्ञातव्य है की यह साधना प्राचीन काल में भगवान महावीर के द्वारा श्रावक के लिए निर्दिष्ट साधना है। लगभग 07 वर्षों तक चलने वाली यह कठोर साधना करने वाले वर्तमान समय में गिनती के ही श्रावक है। जिनमें से एक आप है।
भरा पूरा परिवार :-*
जैन दीक्षा में पारिवारिक सहमति बहुत महत्वपूर्ण होती है। श्री धनराज जी की धर्मपत्नी श्रीमती निर्मला देवी है। एक सुपुत्र श्री अनिल बैद एवं एक सुपुत्री श्रीमती अंशु राखेचा सहित पोते–पोतियों, दोहिते–दोहितियों का भरा पूरा परिवार है। आपकी इस अध्यात्म जीवन की यात्रा में उनकी भी सहर्ष अनुमति है।
दीक्षा लेकर करेंगे कठोर चर्या का पालन :-*
दीक्षा के पश्चात मुनि जीवन का आचार, मर्यादा सभी के लिए समान रूप से पालनीय होती है। 77 वर्ष की आयु में भी आपने अपने आप को पूरा कसौटी पर कसा है एवं दीक्षा से पूर्व ही केश लुंचन, रात्रि भोजन त्याग, विहार, कंठस्थ ज्ञान आदि का कड़ा अभ्यास किया है।
सामाजिक जीवन में भी रहे अग्रणी :-*
आपने अपनी कर्मठता, सेवा वृत्ति से सामाजिक गतिविधियों में भी पूरा पूरा योगदान दिया। अणुव्रत महासमिति, जैन विश्व भारती, आदर्श साहित्य संघ, अणुव्रत विश्व भारती, प्रेक्षा हेल्थ एंड रिसर्च फाउंडेशन, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम जैसी अनेकों संस्थाओं में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष जैसे कार्यकारी पदों पर कार्य किया है। साथ ही अणुव्रत सेवी, शासन सेवी जैसे अलंकरण आपको सामाजिक सेवा हेतु प्रदान किए गए है।




