


इन श्रमिकों को कार्यस्थल पर बुनियादी सुविधाओं के बिना अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ता है।
डांग,चीनी मिलों ने मुक़दमे के माध्यम से श्रमिकों को मौखिक नोटिस दिया है कि इस वर्ष (2023-2024) श्रमिकों को 375 रुपये प्रति टन का भुगतान किया जाएगा। जो कि सरकारश्री की घोषणा के विरूद्ध चीनी मिलों का मनमाना एवं मनमाना रवैया एवं अवैध निर्णय है। जो एक अवैध अंतरिम सरकार चलाने का कृत्य है जिसकी हम संघ कड़ी निंदा करता है।
यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि चीनी मिलें पिछले वर्ष तक श्रमिकों को लाने और काम करवाने के लिए ठेकेदारों/ठेकेदारों को न्यूनतम वेतन का लगभग 20% अलग से कमीशन/सेवा शुल्क का भुगतान करती रही हैं। जैसे वर्ष 2015 में न्यूनतम मजदूरी 238/- रुपये प्रति टन थी और कमीशन 45/- रुपये प्रति टन था, 2022-23 में श्रमिकों को 325/- रुपये प्रति टन के मुकाबले 75/- रुपये प्रति टन कमीशन का भुगतान किया गया है।
केंद्र सरकार को यह एक वैध अनुरोध है कि “श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के अनुसार श्रम का भुगतान किया जाना चाहिए और मुकदमेबाजी का कमीशन सेवा शुल्क पहले की तरह न्यूनतम मजदूरी से अलग से भुगतान किया जाना चाहिए और श्रमिकों का शोषण बंद किया जाना चाहिए।” डांग रिपोर्टर राजेश एल पवार






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