


ज्ञानशाला ज्ञानवृद्धि का उपक्रम है- मुनिश्री जिनेश कुमार जी
दो दिवसीय ज्ञानशाला शिविर का हुआ शुभारंभ
साउथ कोलकाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में दो दिवसीय ज्ञानशाला शिविर का शुभारंभ तेरापंथ भवन में हुआ। जिसमें 70 ज्ञानार्थी व 33 प्रशिक्षिकाएं उपस्थित थी। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा- चार दुर्लभ अंग है। मनुष्यत्व श्रुति, श्रद्धा, संयम में पराक्रम’ मनुष्य जीवन प्राप्त होना एक बात है। मानवता का भाव होना दूसरी बात है मानवता के विकास के लिए अनाग्रह चेतना का विकास जरूरी है। अनाग्रह चेतना से विवेक जागृत होता है। आग्रह की नहीं सुझाव की भाषा का प्रयोग होना चाहिए। जिनवाणी सुनना दुर्लभ है। उससे भी ज्यादा
दुर्लभ है जिनवाणी में श्रद्धा रखना। श्रद्धा प्रकाश है शंका विनाश है।। संयम में पराक्रम करना बहुत मुश्किल काम है। सम्यक् पुरुषार्थ से ही व्यक्ति परमेश्वर को प्राप्त होता है। श्रम से कभी विमुख नहीं होना चाहिए। स्वावलंबी जीवन व्यक्ति को महान बनाता है। विलासिता भोग, दुराचार असंयम व्यक्ति कों हिंसा की ओर ले जाती है। संयम सादगी व्यक्ति को सदाचार की ओर ले जाती है। मुनिश्री ने आगे कहा ज्ञानशाला ज्ञानवृद्धि का उपक्रम है। ज्ञानशाला से संस्कार व चारित्र पुष्ट होते है और व्यक्ति बुरी आदतों से बचता है। गुरुदेव तुलसी ने भावी पीढी को सुसंस्कारी बनाने के लिए समाज को नया आयाम दिया वह है ज्ञानशाला। माता पिता अभिभावक बंधु बालक बालिकाओं को सद्संस्कारी बनाने के लिए ज्ञानशाला के लिए प्रेरित करें। मुनिश्री परमानंद ने ज्ञानशाला के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्ञानशाला संस्कार निर्माण की शाला है। ज्ञानशाला शिविर में मुनिश्री जिनेश कुमार जी के अतिरिक्त ज्ञानशाला की आंचलिक प्रभारी प्रेमलता चौरड़िया, वीणा सामसुखा,नीता सेठिया, वंदना डागा, बेबी दूगड़, वैशाली श्याम सुखा, रितु बुच्चा, ख्याति बैद, गरिमा बैद, आकृति नाहाटा, आदि ने प्रशिक्षण दिया। ज्ञानशाला शिविर में साउथ कोलकाता, साउथ हावड़ा, पूर्वांचल, हिंद मोटर,राजरहाट, उत्तर हावड़ा, टॉलीगंज, आदि के बच्चे उपस्थित थे।






