दो मासखमण तप अभिनन्दन समारोह का भव्य आयोजन *तपस्या अपने आप में सम्मान है- मुनि जिनेश कुमारजी*
साउथ कोलकाता
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में श्रीमती कल्पना जी दुगड़, सुश्री ईशा बैद के मासखमण तप के उपलक्ष्य में साउथ कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन तेरापंथ भवन में किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी कहा – धर्म ही दीपक है जो अज्ञान रूप अंधकार का नाश करता है। धर्म एक अमोध संजीवनी है। जिसे धारण करने वाला व्यक्ति अलौकिक ऊर्जा, शक्ति, प्रकाश को प्राप्त होता है। धर्म दिशा दर्शक, पथ प्रदर्शक व आत्म प्रकाशक है। धर्म का एक प्रकार तप है। आहार का परिहार करना तप है। आहार के साथ साथ आसक्ति, मूर्च्छा का त्याग करना कठिन है। तप को महातप कहा है। तपस्या अपने आप में सम्मान है। तपस्या करना एक प्रकार से निग्रह है। पांच इन्द्रियों में रसनेन्द्रिय पर विजय पाना कठिन है। तप अध्यात्म साधना का प्राण है। मानसिक शांति का एक मात्र प्राण है। तप से आत्मा का सौन्दर्य बढता है और पूर्वाजित कर्मो का क्षय व तन मन स्वस्थ रहता है।मुनिश्री ने आगे कहा, जैसे मंदिर की सफाई के बाद ही उसमें मूर्ति की प्रतिष्ठा होती है। वैसे ही तप करने से पापों की विशुद्ध के बाद आत्मा निर्मल होती है। रोग का मूल कारण असंयम है। असंयम अकाल मृत्यु का बड़ा कारण है। कर्म मुक्ति के दो उपाय है संवर निर्जरा तपस्या उसका बहुत बड़ा साधन है। उपवास करना भी कठिन होता है वे जीवं भाग्यशाली है जो मासखमण की तपस्या करके जिनशासन की प्रभावना करते हैं। कल्पना दुगड़ व ईशा बैद ने मासखमण कर साहस का परिचय दिया है दोनों के प्रति आध्यात्मिक शुभकामना।बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर तप गीत का संगान किया।
इस अवसर पर तप अनुमोदना में साउथ कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विनोद जी चोरड़िया, साध्वी प्रमुख श्री विश्रुत विभा जी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन सहमंत्री कमल जी कोचर, कार्यकारिणी सदस्य नवीन जी दुगड़ ने, अभिनंदन पत्र का वाचन कोषाध्यक्ष रतनलाल जी सेठिया ने, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा पद्मा जी कोचर, निर्मल जी भूतोड़िया, श्रीमती पूनम दुगड़, प्रकाश गिड़िया, श्रीमती गुलाब बैद ने विचार व्यक्त किये। मासखमण तपस्विनी श्रीमती कल्पना दुगड़ व सुश्री ईशा बैद ने अपने अनुभव प्रस्तुत करते हुए भाव व्यक्त किये। दुगड़ परिवार से तप अनुमोदना गीत का संगान अन्जु भूतोड़िया, मधु दुगड़,चन्दा बोरड़, रन्जना चौपड़ा, अर्चना चौरड़िया ने व बैद परिवार की ओर से सीमा गिड़िया ने किया कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद ने किया। साउथ सभा की ओर से
तपस्वियों का सम्मान मोमेन्टों, संदेश अभिनंदन पत्र प्रदान कर किया गया।