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Previous: अमृतवाणी स्वर संगम 2024 के EAST ZONE FINALE हुआ कोलकाता में….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times कोलकाता, अमृतवाणी स्वर संगम 2024 के इस्ट जोन फिनाले 22-09-2024 को कोलकाता मे आयोजित हुआ। आयोजन मे सहयोगी के रूप में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा (कलकत्ता पूर्वांचल) ट्रस्ट का महनीय सहयोग मिला। पूर्वांचल सभा के मुख्य न्यासी श्री बाबुलाल जी गंघ, अध्यक्ष श्री संजय जी सिंघी के साथ उनकी पूरी टीम उपस्थित थीं। EAST ZONE के संयोजक श्री पंकज डोसी एवं श्री आलोक बरमेचा के साथ पूर्वांचल सभा की पूरी टीम का श्रम मुखर रहा। म्यूजिक टीम, साउण्ड सिस्टम बहुत अच्छा था। निर्णायक के रूप में संगीत विशेषज्ञ व्यक्तियों का सहयोग रहा। श्री सुशील जी हीरावत, श्री सुबोध जी छाज़ेड एवं श्री जगत जी कोठारी का उदारभाव सहयोग मिला। आप सबके सुंदर सहयोग ने आयोजन को सफलता प्रदान की। सबके प्रति हार्दिक आभार। समाज के महानुभावों की गरिमामय उपस्थिति ने आयोजन को सफल बनाया। अमृतवाणी स्वर संगम के सभी प्रतिभागियों की शानदार प्रस्तुति रही। सबके प्रति मंगलकामना। परिणाम इस प्रकार रहा- श्रद्धा गुजरानी, नौगाँव सलोनी आँचलिया, सलकिया अरिहन्त शामसुखा, कोलकाता, इन तीनों ने GRAND FINALE के लिए प्रवेश किया। कार्यक्रम में अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश जी डागा, महामंत्री श्री अमित जी नाहटा, महासभा के कोषाध्यक्ष श्री मदन जी मरोठी, जैन विश्व भारती के सहमंत्री श्री नवीन जी बेंगानी, आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान की ट्रस्टी श्रीमती संगीता शामसुखा, अमृतवाणी के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रकाश जी बैद, ट्रस्टी श्री रतन दूगड़, श्रीमती संगीता जी सेखानी, कोलकाता महानगर की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों की गरिमामय उपस्थिति रही। व्यवस्थाओं में श्री नवीन बैंगानी का अच्छा सहयोग रहा। प्रत्यक्ष परोक्ष सभी सहयोगी महानुभावों के प्रति हार्दिक आभार। कार्यक्रम का कुशल संचालन स्वर संगम के राष्ट्रीय संयोजक श्री पन्ना लाल जी पुगलिया ने किया। अमृतवाणी परिवारNext: साध्वी संगीतश्री चौदह नियम कार्यशाला*- जी के सानिध्य में व्रत चेतना जागरण का उपक्रम…कुसुम लुनिया शाहदरा, दिल्ली, श्रमण संस्कृति का मूलभूत अंग है व्रत। जैन , बौद्ध आदि परम्पराओ मे जीवन परिष्कार की दृष्टि से व्रतों को अतिरिक्त मूल्य दिया गया है।वर्तमान युग मे जैन परिवारों मे कुछ व्रतों को अनुष्ठान के रूप में स्वीकार किया जाता है। श्रावक की पहली भूमिका सम्यक दीक्षा होती है, दूसरी भूमिका में व्रत दीक्षा स्वीकार की जाती है।भगवान महावीर ने बारह व्रत रूप संयम धर्म का निरूपण गृहस्थों के लिए किया। दैनिक जीवन मे व्रतों का सीमाकरण करने की विधि है चौदह नियम , इन्हे अपने जीवन मे अवश्य धारण करना चाहिए। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री संगीत श्री ने उपरोक्त प्रेरणा शाहदरा सभा के चातुर्मासिक स्थल ओसवाल भवन में चौदह नियम कार्यशाला को संबोधित करते हुए दी। इस अवसर पर साध्वीश्री कमल विभा जी ने प्रतिबोध देते हुए फरमाया कि दैनिक प्रवृतियों के सीमाकरण हेतु 1- सचित्त, 2-द्रव्य, 3-विगय छह, 4- पन्नी, 5- ताबूंल, 6- वस्त्र, 7- कुसुम, 8- वाहन, 9- शयन,10- विलेपन, 11-अब्रह्मचर्य, 12- दिशा, 13- स्नान, 14-भक्त ( आहार) का नियमित उपयोग हेतु व्रत प्रत्याख्यान त्याग आवश्यक है। इससे समुद्र के जल जितना पाप एक लोटे के जल में समा जाता है।सीमाकरण का बहुत महत्व है , अतः सभी को चौदह नियम स्वीकारने चाहिए। साध्वी श्री की प्रेरणा से अधिकाशं व्यक्तियों ने व्रतों को स्वीकार कर धन्यता का अनुभव किया। विशेष ज्ञातव्य रहे कि साध्वीश्री संगीत श्री जी, साध्वीश्री शान्तिप्रभाजी, साध्वीश्री कमल विभाजी और साध्वीश्री मुदिताश्री जी चारो साध्वियां विगत सात वर्षो से स्वयं वर्षी तप की साधना कर रही हैं । आपने शाहदरा क्षेत्र में भी सघन परिश्रम से श्रावक समाज की सार सम्भाल करके घर्म संघ की जडो को सिंचित किया है