
बाड़मेर। बलाऊ जाटी मे चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिवस में संत श्री रामप्रकाश जी महाराज ने कहा कि भगवान हमेशा भक्तो के वश में होते है यदि भक्त सच्चे मन से भगवान को पुकारे तो भगवान दोडे़ चले आते है!
उन्होंने कहा कि अवगुण तो सब में है लेकिन भगवान से प्रार्थना करों की अवगुण तो मेरे में बहुत है किन्तु आपका ही भक्त हूं तो आपको ही मुझे तारना पड़ेगा, पूर्ण रूप से भगवान के चरणों में समर्पित हो जाओ !
संत श्री ने कहा भागवत हमे मरना सिखाती है, मरो तो एसे मरो की वापस मां के गर्भ में आना नहीं पड़े जैसे परीक्षित मरे |
सीधी मुक्ति होनी चाहिए तब तो जीना सफल है बाकी तो ऐसे ही धरती पर बोझ बन कर रह रहे है |
जीवन अच्छे से जिया जाए तो ही जीवन सफल होता है |
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर संत रामप्रकाश जी ने कहा की बेटी होना सौभाग्य की बात है, सौभाग्यशाली है वो मां बाप जिनके घर में बेटी जन्म होता है |
सत्संग सुनना तब ही सार्थक है जब उसमें बताए हुए बातों को जीवन में उतारो तो ही सत्संग सुनना सार्थक है!
प्रहलाद चरित्र, कपिल चरित्र , ध्रुव चरित्र आदि प्रसंगों को विस्तार से वर्णन किया | बालक ध्रुव को मां के दिए हुए उपदेश में बहुत श्रद्धा थी | मां के दिए हुए वचन पर विश्वास कर वन में जाकर भगवान को धरती पर आने के लिए मजबूर कर दिया ये सब मां के दिए हुए संस्कार की वजह से हुआ | अगर बचपन में अगर अच्छे संस्कार मिल जाए तो बच्चे का जीवन महान बन सकता है | नहीं तो जीवन बर्बाद हो जाएगा | श्री कृष्ण और राम, स्वामीके विवेकानंद, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, जैसे महापुरूष होने चाहिए जिसके जीवन से प्रेरणा लेकर हमारा भी जीवन सफल हो जाए!
भागवत कथा के दोरान आस_पास के गावो से भक्तगणों की भारी भीड़ रही!