*आचार्य भिक्षु का 299 वाँ जन्म दिवस व 267 वां बोधि दिवस तप-जप के साथ मनाया गया*
*विलक्षण प्रतिभा के धनी थे- आचार्य भिक्षु -मुनिश्री जिनेश कुमार जी*
साउथ हावड़ा
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य – मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सन्निध्य में आचार्य भिक्षु का 299 वाँ जन्म दिवस व 267 वाँ बोधि दिवस साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा प्रेक्षा विहार में तप – जप के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को ज्योति का अवतरण जागृति का शंखनाद विषय पर संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेशकुमार जी ने कहा- आचार्य भिक्षु का जीवन उदितोदित था। वे सिंह स्वप्न के साथ अपनी मां के गर्भ में आए और अंतिम क्षण तक सिंह गर्जना करते रहे। आज आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी के दिन उस दिव्य ज्योति का अवतरण हुआ, जिसने जागृति का शंखनाद कर जैन शासन के अध्याय में एक नया इतिहास रच दिया। आचार्य भिक्षु मरुधरा के धोरी वीर, निर्भीक व निडर पुरुष थे। वे विलक्षण व नैसर्गिक प्रतिभा के धनी थे। उनकी वाणी कबीर की वाणी की तरह कुरूढियों पर चोट करने वाली थी। वे सूझबूझ के धनी, उपायज्ञ, आचार सम्पन्न व उदार विचार के धनी थे। वे क्रांतिकारी संगठन शिल्पी व निर्मल बुद्धि के धनी थे।
उन्होंने आगे कहा – आज जन्मदिन के साथ साथ बोधि प्राप्ति का भी दिन है। आज के दिन आचार्य भिक्षु को राजनगर में तत्त्वज्ञान का बीज मिला था। आचार्य भिक्षु की धर्म क्रान्ति का पहला कदम बोधि दिवस नए प्रभात के उदय का दिन है। बोधि का अर्थ है-विवेक चेतना का जागरण । मुनि श्री की प्रेरणा से ऊं भिक्षु – जय भिक्षु का त्रिदिवसीय अखंड जप, तेला तप, एवं नवरंगी तप का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद जी ने कहा आचार्य भिक्षु सकारात्मक सोच के धनी थे। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का सगांन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल के भिक्षु अष्टकम् के मंगल संगान से हुआ। कार्यक्रम के अंत में नमस्कार महामंत्र कोटि जप अनुष्ठान कि किट साउथ हावड़ा सभा द्वारा मुनि श्री के अवलोकन हेतु प्रस्तुत की गई। संचालन मुनिश्री परमानंद जी द्वारा किया गया।