*राष्ट्रसंत आचार्य श्री तुलसी का 28 वां महाप्रयाण दिवस विसर्जन दिवस के रूप में मनाया**मानवता के मसीहा \nथे-आचार्य श्री तुलसी-मुनि श्री जिनेश कुमारजी*उत्तर कोलकातायुगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमारजी ठाणा -3 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्त्वावधान में गणाधिपति गुरुदेव तुलसी का 28 वां महाप्रयाण दिवस विसर्जन दिवस के रूप में मोहित मंच ऑडिटोरियम में तेरापंथ महिला मंडल मध्य कोलकाता द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें बृहत्तर कोलकाता की 12 शाखा मंडलों क्रमशः दक्षिण कोलकाता, दक्षिण हावड़ा, पूर्वांचल, उत्तर हावड़ा, मध्य कोलकाता, हिंद मोटर, टांलीगंज, बेहाला, लिलुआ, बाली-बेलूर, उत्तरपाडा, रिषड़ा ने अपनी सहभागिता दर्ज कर कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए
मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहां आज के दिन 27 वर्ष पूर्व विश्वविख्यात राष्ट्रसंत आचार्य श्री तुलसी का महाप्रयाण हुआ था। वे साधना के श्लाका पुरुष व शांति के पर्याय थे। उनका समग्र जीवन महकते गुलदस्ते की तरह था। उनके जीवन के हर कर्ण की सौरभ अदितीय व विलक्षण थी। वे प्रबल। पुण्याई के अक्षय धाम, मानवता के मसीहा, शांति के देवता व धरती के कल्पवृक्ष थे। उनका पवित्र जीवन उदात्त \nचारित्र, पारदर्शी व्यक्तित्व हर किसी को अभिभूत कर देने में सक्षम था। वे प्रकाश व ऊर्जा के पर्याय थे। जिनका मन सुनता था, आँखे बोलती थी, वाणी देखती थी, वे दिव्य दृष्टि सम्पन्न सत्य-साधना और शोध में निरत रहने वाली एक तेजस्वी व्यतित्व थे। वे व्यापक सोच व उदार दृष्टि कोण वाले जनप्रिय नेता थे। उन्होंने अपने आचार्य पद का विसर्जन कर एक नई मिशाल पेश की वे युगीन समस्याओं के सटीक जवाब देते थे। उन्होंने धर्मसंघ को विकास के पथ पर अग्रसर किया। उनके चिंतन में चातुर्य, वाणी मे माधुर्य व प्रवचन में गांभीर्य था। उनके विकास के पांच सूत्र, विनय, विद्या, विवेक, विरति व विधायक विचार बहुत ही महत्त्वपूर्ण थे।
मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने आगे कहा- आज आचार्य श्री तुलसी का 28 वां महाप्रयाण दिवस विसर्जन दिवस के रूप में मना रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति को विसर्जन का महत्त्व समझना चाहिए। आचार्य श्री तुलसी ने पदविसर्जन कर समाज को अनासक्ति का अनमोल संदेश प्रदान किया है। उनकी पुण्यतिथि मनाना तभी सार्थक होगा जब हम उनके बताएँ मार्गों पर चलने का प्रयास करेंगे।
इस अवसर पर मुनिश्री परमानंदजी ने कहा – आचार्य श्री तुलसी महान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने मानव को सही राह दिखाने का प्रयास किया।
बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने महाप्राण गीत का संगान किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सभी महिला मंडलों द्वारा सामूहिक तुलसी अष्टकम् के संगान से हुआ। मंगलाचरण मध्य कोलकाता ते.म.मं. व कन्या मंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया। स्वागत भाषण अध्यक्षा श्रीमती संतोष बैद ने दिया। उत्तर कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बिनोद बैद, मध्य उत्तर कोलकाता सभा के अध्यक्ष पारसमल जी सेठिया व तेरापंथ युवक परिषद उत्तर कोलकाता अध्यक्ष मनीष बरड़िया, नारीरत्न तारा बाई सुराणा, अ.भा. ते. म.मं. संगठन मंत्री श्रीमती रमण पटावरी ने अपने विचारों के माध्यम से भावांजलि अर्पित की। इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल साउथ कोलकाता ने विकास के आयाम, पूर्वाचल ने अणुव्रत, रिषड़ा ने शिक्षा संस्कार, साउथ हावड़ा ने समण श्रेणी, बाली-बेलूर ने कला-साहित्य, उत्तरहावड़ा ने आगम संपादन, उत्तरपाड़ा, ने पदयात्रा, हिन्दमोटर ने पद विसर्जन, मध्य कोलकाता ने नारी जागरण विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। लिलुआ, बेहाला महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी। तथा टांलीगंज महिला मंडल ने अपने विचारों से भावांजलि अर्पित की। आभार ज्ञापन मंत्री मंजु बरड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया। कार्यक्रम में गुरुदेव तुलसी का जप भी किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यकर्ताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।