🌸 *प्रसिद्ध भुसवाल नगरी में तेरापंथाधिशास्ता महाश्रमण का मंगल शुभागमन* 🌸
*-भुसावलवासियों ने अपने आराध्य का किया भावभीना अभिनंदन*
*-एकदिवसीय प्रवास हेतु भव्य जुलूस के साथ महातपस्वी महाश्रमण पधारे तेरापंथ भवन*
*-संसार में रहते हुए भी हो अनासक्ति की भावना का विकास : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण*
*-भुसावलवासियों ने अपने सुगुरु की अभिवंदना में दी भावनाओं की अभिव्यक्ति*
*15.06.2024, शनिवार, भुसावल, जलगांव (महाराष्ट्र) :*
सतपुड़ा पर्वतश्रेणी तथा दक्कन के पठरी भाग के अजंता पहाड़ी शृंखला के मध्य ताप्ती नदी के तट पर स्थित महाराष्ट्र के जलगांव जिले का मुख्य नगर भुसावल। यह नगर रेलनगरी के नाम भी जाना जाता है, तथा भौगोलिक दृष्टि से भुसावल शहर के केले व कपास की खेती के लिए काफी प्रसिद्ध है। ऐसे भुसावल नगरी में शनिवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ आध्यात्मिकता की गंगा प्रवाहित करने के लिए पधारे तो भुसावलवासियों ने मानवता के मसीहा का भव्य स्वागत किया।
शनिवार को प्रातः शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कुर्हे (पानाचे) से गतिमान हुए। पुनः ग्राम के भीतर पधार कर गुरुदेव ने जैन भवन में मंगल पाठ प्रदान किया। भुसावल के उत्साही श्रद्धालु विहार से पूर्व ही अपने आराध्य की सन्निधि में पहुंच गए थे। भुसावलवासी अपने आराध्य के आगमन से अति आनंदित नजर आ रहे थे। चारों ओर उत्साह छाया हुआ था। नगर में लगे होर्डिंग्स व बैनर श्रद्धालुओं की भावनाओं को दर्शा रहे थे। जगह-जगह बनी रंगोलियां भी बनाई गयी थीं। जैसे ही आचार्यश्री ने भुसावल नगर की सीमा में पावन प्रवेश किया, श्रद्धालुओं ने बुलंद जयघोष के साथ अपने आराध्य का अभिनंदन किया। इस दौरान स्थानीय आमदार श्री संजय सावकरे भी स्वागत में उपस्थित हुए। मार्ग में बियानी मिलिट्री स्कूल प्रांगण में पधार कर गुरुदेव ने प्रबंधकों को सुभाशीष प्रदान किया। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री महाश्रमणजी भुसावल नगरी में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।
तेरापंथ भवन के निकट संतोषी माता बहुद्देशीय हॉल में मुख्य प्रवचन कार्यक्रम का समायोजन हुआ। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आदमी जीवन जीता है। जीवन जीने के लिए भोजन, पानी, श्वास के लिए हवा, कपड़े, मकान, शिक्षा, चिकित्सा आदि अनेक प्रकार की आवश्यकताएं होती हैं। जीवन जीने की अनेक क्रियाएं करना होता है। पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन, संघीय जीवन के रूप में इतना व्यवहार जहां चलता है, वहां पाप कर्मों का बंध न हो, इसका महत्त्वपूर्ण उपाय है कि आदमी अनासक्त रहे। पद्म पत्र जल में रहते हुए भी जल से निर्लिप्त रहता है, उसी प्रकार आदमी जगत में रहते हुए भी पदार्थों का उपयोग करते हुए भी आदमी अनासक्ति का अभ्यास रखे तो वह पाप कर्मों के बंधन से काफी बच सकता है।
आदमी भोजन करता है, उसमें भी आसक्ति और आकर्षण होता है तो वहां भी बंधन है और यदि मोह, आकर्षण और आसक्ति नहीं तो वहां बंधन से बचा जा सकता है। आदमी आसक्ति के साथ भोजन करता है तथा साधु केवल शरीर को चलाने के लिए अनासक्ति की भाव से आहार करता है तो वह पाप कर्मों से बच सकता है। साधु के भीतर अनासक्ति और संयम है तो वह पापों से बच सकता है।
आसक्ति की भावना ही पाप कर्मों का बंध कराने वाली होती है। आदमी को अधिक आसक्ति से बचने और अनासक्ति की साधना करने का प्रयास करे तो यह पाप कर्मों के बंधन से बचने का अच्छा उपाय हो सकता है। जिस प्रकार धाय माता बालक की सेवा-सुश्रुषा करती है, किन्तु मन में यह भाव रखती है कि बालक मेरा नहीं है। उसी प्रकार आदमी अपने परिवार का भरण-पोषण करते हुए, समाज के दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी अनासक्ति की चेतना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। जितना संभव हो सके आदमी को मोह की चेतना से बचने का प्रयास करना चाहिए। मोह के वशीभूत होकर आदमी चोरी, झूठ, बेईमानी, हिंसा हत्या में जा सकता है। इन सभी पापों के मूह में मोह, लोभ ही होता है। इसलिए आदमी को इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। अनासक्ति की चेतना का विकास हो। आदमी के जीवन में धार्मिकता, ध्यान, योग की चेतना का विकास हो। अध्यात्म की साधना में अनासक्ति की साधना का बड़ा महत्त्व होता है। साधु को तो अनासक्त रहना ही चाहिए, साथ ही गृहस्थ भी भौतिक दुनिया में रहते हुए भी जीतना संभव हो सके, आसक्ति से बचते हुए अनासक्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने भुसावलवासियों को पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि आज भुसावल आए हुए हैं। यहां के लोगों में खूब धार्मिकता की भावना बनी रहे। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी भुसावलवासियों को उत्प्रेरित किया।
संसारपक्ष में भुसावल से संबद्ध साध्वी सन्मतिप्रभाजी व मुनि सिद्धकुमारजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने दोनों चारित्रात्माओं को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। स्थानीय तेरापंथी सभा के मंत्री श्री रविन्द्र निमाणी, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती मंजूश्री छाजेड़, श्री सोमेश सांखला, स्थानकवासी समाज की ओर से श्री अतुल तातेड़ व बालिका दिव्या निमाणी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल व तेरापंथ किशोर मण्डल ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ की बेटियों व तेरापंथ समाज ने अपने-अपने गीत का संगान किया।