पौध रोपकर आओ करें हम
अपनी धरती का श्रृंगार
पर्यावरण की सुरक्षा का
करें हम सब सत्कार
आओ मिलकर करें वसुधा को
अपने हाथों स्वर्ग सा तैयार।
ओढ़े धरती चुनर धानी
संकल्प शक्ति हो सब एकाकार
एक -एक पौध लगायें हम सब
फिर होगी मेहनत रंगदार।
पौध रोपकर आओ करें हम
अपनी धरती का श्रृंगार
वर्षा, धूप, सर्दी, गर्मी से
राहत पहुंचाये दिल से हर बार।
अच्छी खाद और बीज वपन कर
पानी की दे बौछार
कुछ ही दिनों में बड़े होकर
फल फूल का देंगे हमें उपहार।
दायित्व हमारा सबसे ऊपर
गांव-गांव में पौध कतार
गर्मी से राहत मिल पाये
ठंडी छांव का सुकून सौ बार।
ग्लोबल वार्मिंग भी होगी कम
सपने होंगे सब साकार
मिले हवा और ऑक्सीजन सबको
रचें ऐसा नया संसार।
कनक पारख
विशाखापट्टनम