





आचार्य महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री कुंदन रेखाजी
ने कहा श्रावक धनराज जी बेद ने आज से साढ़े पांच वर्ष पूर्वश्रवक की ग्यारह प्रतिज्ञा आचार्य प्रवर के इंगीतानुसार प्रारंभ की थी,आज उसके पूर्णित होने का दिन है। देव गुरु और धर्म के प्रति सर्वोच्च समर्पण के द्वारा हरवकार्य सफलता के आकाश को स्पर्श कर लेता है। समयग् दर्शन,ज्ञान और चरित्र जैसे माइलस्टोन कभी सत्य के मार्ग से इंसांनको भटका नहीं सकते। धनराजजी बेद एक श्रद्धा निष्ठ, धर्म निष्ठ,मर्यादा और अनुशासन निष्ठ वैरागी साधक है। इनकी भावना सतत प्रवर्धमान है, संयम के महापथ पर बढ़ने का साहस है। इनकी भावना अतिशीघ्र हो, मंगल भावना। इस अवसर द्वारा साध्वी सौभाग्य यशा आदि साध्वियों द्वारा “धन धन श्रावक धनराज जी” गीतिका का सामूहिक संगान किया गया। इस अवसर पर सभा अध्यक्ष दिल्ली सुखराजजी सेठिया, कल्याण परिषद के संयोजक के . सी जैन, दक्षिण दिल्ली सभा अध्यक्ष हीरालाल जी गोलछा , संजय चोरड़िया, उनके पुत्र अतिल बेद, पुत्र वधु रेखा बेद , संस्कृति जैन, शिल्पा जैन , दिल्ली सभा पूर्व अध्यक्ष जोधराजजी बेद, गोविन्दजी बाफना , उमा राखेचा, अंशु राखेचा, सूर्यकांत बेद, कन्हैया लालजी बेद , सुशील जी सामूहिक गीत का उच्चारण महिला मंडल द्वारा किया गया। सभी ने अपनी अपनी भावनाओं द्वारा श्रीमान धनराज जी को बधाई एवम दिल्ली में नए इतिहास का सृजन कर रहे है।
शुभकामनाएं
श्रीमान धनराज जी बेद ने कहा ” भिक्षु शासन ने तीन तीन आचार्यों का आशीर्वाद , शासन माता कनक प्रभा जी की प्रेरणा, साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा जी की मंगल कामना एवम अनेको साधु साध्वियों का श्रम मेरी साधना मेरी सफलता में निमित्त बने है। उसके साथ साथ मेरे पारिवारिक जन का सहयोग, जिससे आज साढ़े पांच वर्षो की साधना संपन्न हो सकी।
अब तो एक ही तमन्ना है अतिशीघ्र आचार्य महाश्रमण जी की परिषद का अंतरंग सदस्य बन संयम की उत्कृष्ट साधना करू।


