अणुव्रत तोड़ना नहीं जोड़ना सिखाते हैं मुनिश्री जिनेश कुमारजी
साउथ कोलकाता
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का पांचवां दिन अणुव्रत चेतना दिवस के रूप में तेरापंथ भवन में मनाया गया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा पर्युषण पर्व अध्यात्म का उज्ज्वल पर्व है। पर्युषण पर्व सीमा में आने का पर्व है। पर्युषण लघु से विराट बनने का पर्व है। पर्युषण पर्व व्रतों के स्वीकरण का पावन पर्व है। पर्युषण अणुव्रतो को अपनाने का पर्व है। व्रत सुखमय जीवन की बुनियाद है । जिस प्रकार बुनियाद के बिना भवन खड़ा नहीं हो सकता, उसी प्रकार व्रत के बिना सुखमय जीवन का भवन खड़ा नहीं हो सकता । व्रत का अर्थ है- असत् से विरति, असंयम से संयम की और प्रस्थान करना।अणुव्रत का उद्घोष संयम है। संयम से अनेक वैश्विक समास्याओं से निजात पाया जा सकता है । मुनिश्री ने आगे कहा. आचार्य श्री तुलसी ने अणुवत आन्दोलन का सूत्रपात किया। अणुव्रत सत्ता का अधिकार नहीं देता, वह देता है मानवता को अणुव्रत अर्थ आने का स्रोत नहीं खोलता वह खोलता है जीवन में नैतिकता और प्रामाणिकता आने का द्वार । अणुव्रत तोड़ना नहीं जोड़ना सिखाता है जोड़ने के लिए संयम जरुरी है। अणुव्रत क्रिया कांडों पर बल नहीं देता वह चारित्र शुद्धि पर बल देता है। अणुव्रत चरित्र शुद्धि व नैतिकता का आन्दोलन आज के विषाक्त वातावरण मैं अणुव्रत सुरक्षा कवच है। व्यक्ति अहिंसा व्यसन मुक्ति व्यवसाय में प्रामाणिकता का विकास करे साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखे। मुनिश्री ने आगे कहा मनुष्य ही पूर्ण रूप से धर्म का अधिकरी है मनुष्य प्रमाद को छोड़कर जागरूकता का जीवन जीए और सादगी संयम का विकास करे। मुनिश्री परमानंद जी ने कहा स्वस्थ जीवन जीने के लिए व्रतो की परम आवश्यकता रहती है। मुनिश्री कुणाल कुमारजी सुमधुर गीत का संगान किया मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने भगवान महावीर का जीवन दर्शन के बारे में बताया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्वांचल व लिलुआ तेरापंथ महिल मंडल की बहिनों के मंगलाचरण से हुआ।