


पर्युषण पर्व का दुसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रुप में मनाया
स्वाध्याय सद्गति का सुपथ है – मुनिश्री जिनेश कुमार जी
साउथ कोलकाता
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा -3 के सान्निध्य में पर्युषण पर्व का दूसरा दिन स्वाध्याय दिवस के रूप में पद्धोपुकुर स्थित तेरापंथ भवन में साउथ कलकता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – वृत्तियों के परिष्कार के स्वीकरण का पर्व है -पर्युषण। पुरुषार्थ का पर्व है- पर्युषण । क्षमा, मृदुता ऋजुता, निर्लोभता का पर्व है पर्युषण। यह पर्व सोने का नहीं जागने का पर्व है। पर्युषण आत्म विकास व आत्म निर्माण का पर्व है। पर्युषण आराधना का एक सूत्र है-स्वाध्याय । स्वाध्याय से आत्मा पर जमे हुए अनंत जन्मों के संस्कार क्षीण होते हैं। स्वाध्याय सद्गति का सुपथ है। स्वाध्याय से चेतना में नई क्रांति घटित होती है। स्वाध्याय श्रुत की पावन परंपरा का उतम संवाहक है। स्वाध्याय से अशुभ कर्म नष्ट होते है। स्वाध्याय का अर्थ है अपनी आत्मा का अध्ययन करना तथा सत्साहित्य का अध्ययन करना । स्वाध्याय के पांच प्रकार है-वाचना, पृच्छना, परिवर्तना अनुप्रेक्षा और धर्मकथा। मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने आगे कहा – मनुष्य क्रोध और अहंकार कि प्रार्थना न करें। अहंकार पतन की निशानी है। अहंकार से विनय का नाश होता है। अहंकार की कार से उतरकर विनम्रता के विमान में चढ़ने वाला व्यक्ति ही साधना के पथ पर आगे बढ़ता है। सभी को स्वाध्याय प्रतिदिन करना चाहिए।
मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने भगवान महावीर जीवन दर्शन वाचन के क्रम में पूर्व भवों का वर्णन करते हुए तीसरे भव मरीचि” की विशद का व्याख्या करते हुए अहंकार नहीं करने की प्रेरणा प्रदान की। हाजरी का वाचन भी किया गया।
इस अवसर पर मुनिश्री परमानंदजी ने कहा – हमारा मस्तिष्क विचारों का विश्वविद्यालय है। जो मन के विचारों को संभाल लेता है वह अपने जीवन को संभाल सकता है। मन के विचारों को पवित्र रखने के लिए सत्साहित्य का स्वाध्याय करें। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने स्वाध्याय गीत का संगान करते हुए विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तर हावड़ा एवं बेहाला तेरापंथ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुआ। पर्युषण पर्व में विभिन्न धार्मिक आराधनाओं के साथ-साथ अखंड नमस्कार महामंत्र का जप भी चल रहा है।






