


रामदेव सजनाणी/फलोदी।जब से लोहावट पंचायत समिति बनी है तब से लेकर अब तक लोहावट के प्रधान ओर विधायक के बीच राजनीतिक वर्चश्व की लड़ाई जारी है।इस लड़ाई में प्रधान ओर विधायक दोनों ही बदल गए।नहीं बदला है तो वह है अपना अपना वर्चश्च स्थापित करने के लिए शह ओर मात का खेल।दोनों बार में भी एक ओर समानता है वह है राजनीतिक दल।दोनों ही बार में ऐसा नहीं है कि लड़ाई पार्टी या विचारधारा को लेकर है।पिछले कार्यकाल में भाजपा की सरकार थी तो विधायक और प्रधान भी भाजपा के हो थे।इस बार भी दोनों पद एक ही पार्टी यानी कांग्रेस के लोगों के पास है।पिछली बार लोहावट पंचायत समिति के चुनाव के तुरंत बाद ही तत्कालीन विधायक गजेन्द्रसिंह खींवसर ओर तत्कालीन प्रधान भागीरथ बेनीवाल के बीच पूरे कार्यकाल के दौरान खींचतान बनी रही और विधायक खींवसर ने दो बार अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से प्रधान बेनीवाल को ठिकाने लगाना चाहा लेकिन विधायक को कामयाबी नहीं मिली।इस बार भी वही स्थिति है।इस बार कांग्रेस की गीता ओमप्रकाश विश्नोई प्रधान बनी।जो कि कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे स्व मालाराम विश्नोई की पुत्रवधू है।इस बार प्रधान बनने के बाद प्रधान प्रतिनिधि ओमप्रकाश राव ओर विधायक में आपस मे ठन गई।दोनों कई बार मंच पर एक दूसरे के विरोध में बोलते नजर आए।कई बार पार्टी के कार्यक्रम में भी दोनों में आपसी मनमुटाव साफ नजर आया।अब ये मनमुटाव ओर गहरा हो गया जब किसान नेता स्व. मालाराम विश्नोई की प्रतिमा ओर स्मारक के काम को कोर्ट से रुकवाने पर ओर ज्यादा खुलकर सामने आया है।एक ओर जहां ग्राम पंचायत लोहावट कस्बे में मनोहर चौराहे पर स्थित श्मशान घाट में जहां मालाराम विश्नोई का अंतिम संस्कार हुआ वहां पर प्रतिमा स्थापित करने के लिए काम कर रही है तो उसको रुकवाने के लिए एक ग्रामीण ने राजस्थान उच्च न्यायालय में रिट लगाकर कार्य पर स्थगन आदेश करवा दिया।अब प्रधान प्रतिनिधि ओमप्रकाश राव ने इस स्थगन आदेश का आरोप लोहावट विधायक किशनाराम विश्नोई पर लगाते हुए कहा है कि किसी ग्रामीण को मोहरा बनाकर स्व. मालाराम जी की प्रतिमा के कार्य को हाईकोर्ट से स्टे लाकर रुकवा दिया है।इससे पहले भी जब ओमप्रकाश राव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात करने जयपुर गए तब भी इस मामले पर सुगबुगाहट शुरू हो गई थी।हालांकि राव जयपुर में मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाए और उनसे मिलने के लिए समय लेकर आये थे पर वहां वे पीसीसी अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से मिलकर आये।राव जैसे ही वापस लौटे तो स्टे ऑर्डर से प्रतिमा ओर स्मारक का काम प्रशासन ने रुकवा दिया।अब इस स्थगन आदेश पर लोहावट क्षेत्र में सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से चर्चाओं का बाजार गर्म है।
लोहावट विधायक मुझसे राजनीतिक ईर्ष्या रखते हुए स्व. मालाराम जी की प्रतिमा का कार्य रुकवाना चाहते हैं।उन्होंने खुद आगे न आकर किसी ओर को आगे कर इस कार्य पर स्थगन आदेश करवा दिया।इसमें लोहावट कोऑपरेटिव सोसायटी को भी पार्टी बनाया गया जिसका मैं अध्यक्ष हूँ।जबकि सोसायटी का इस निर्माण कार्य से कोई लेना देना ही नहीं है-ओमप्रकाश राव
मालाराम विश्नोई का राजनीतिक सफर-
मालाराम विश्नोई मारवाड़ कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं।शिक्षक बने मालाराम विश्नोई 1960 में सक्रिय राजनीति में आये और 1960 से 1964 तक लोहावट न्याय पंचायत के अध्यक्ष बने उसके बाद वे 1965 से 1982 तक लोहावट के सरपंच रहे।वे जोधपुर केंद्रीय बैंक के संचालक ओर उपाध्यक्ष भी बने।इसके अलावा वे 1990 से 1994 तक पश्चिमी राजस्थान दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के अध्यक्ष भी रहे।उन्होंने 2008 में लोहावट विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा ओर करीब 67 हजार वोट लेकर दूसरे नम्बर पर रहे।वहीं 2013 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें लोहावट से अपना प्रत्याशी भी बनाया था। 1 सितंबर 2018 को मालाराम विश्नोई का निधन हो गया था।




