Surendra minor, associate editor all india
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सूरत (गुजरात),सिटीलाइट तेरापंथ भवन के विशाल प्रांगण में आज अनूठी रौनक छाई हुई थी। हजारों श्रद्धालुओं से यह विशाल भवन भी छोटा प्रतीत हो रहा था। मौका था जैन धर्म के दो प्रभावक आचार्यों के आध्यात्मिक मिलन का। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं स्थानकवासी श्रमण संघ के आचार्य शिवमुनि जी का आज तेरापंथ भवन में आध्यात्मिक आत्मीय मिलन हुआ। पूर्व में सन् 2023 में दोनों महापुरुषों का सूरत में ही शांगरीला (पलसाना) में मिलन हुआ था। आज पुनः जैन एकता का आत्मीय नजारा देख श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। मानों दो भाइयों का मिलन हो रहा हो। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ एवं स्थानकवासी श्रमणसंघ द्वारा संवत्सरी एकता भी एक उल्लेखीय तथ्य है। आज दोनों संघों के साधु साध्वियों का सूरत शहर में आत्मीय मिलन इस धर्मनगरी की महिमा को वृद्धिंगत करने वाला रहा। प्रातः पीपलोद में श्री संजय सुराणा के निवास स्थान से प्रस्थान कर गुरूदेव का सिटीलाइट पदार्पण हुआ। तत्पश्चात आचार्यश्री शिवमुनि जी से आध्यात्मिक भेंट एवं धर्म सभा में प्रवचन का क्रम रहा। कल यहां से विहार कर आचार्यश्री पर्वतपाटिया पधारेंगे जहां एक दिवसीय प्रवास है।
मंगल प्रवचन में आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा –इस दुनिया में मंगल सबको प्रिय होता है व मंगल की कामना हर कोई करता है। नारियल, गुड, चवली, मुहूर्त आदि ये सभी मंगल के बाह्य रूप है, छोटे मंगल है। धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। प्रश्न हो सकता है – कौनसा धर्म ? सनातन, बौद्ध, इस्लाम, जैन या कोई अन्य धर्म नहीं बल्कि यहाँ अहिंसा, संयम व तप से युक्त धर्म को मंगल कहा गया है। इसकी पालना कोई भी करे, उसे लाभ होता है। न दिगम्बर बनने मात्र से मोक्ष प्राप्ति होती है न श्वेताम्बर बनने मात्र से। मोक्ष की प्राप्ति कषाय मुक्ति से ही संभव है। जिसका मन धर्म में रमा रहता है उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। हम लोग जैन शासन से जुड़े हैं, जहाँ वीतरागता की प्राप्ति मुख्य तत्व होता है और जहाँ धर्म की प्रधानता रहती है। भगवान महावीर हम सबके आदरणीय है। आज आचार्य शिवमुनि जी से मिलन हुआ है। इससे पहले भी पाली, दिल्ली आदि स्थानों में मिलन हुआ था। यह साम्प्रदायिक सौहार्द का परिचायक है। मुझे ज्ञात हुआ कि सूरत में आने का प्रोग्राम बन रहा है तो मिलने की इच्छा व्यक्त की। आपका स्नेह एवं वात्सल्य भाव हमें मिलता है। हम सभी अपनी अपनी साधना के साथ धर्मोद्योत करते रहें।
*महाश्रमण जी की आत्मीयता हमें खींच लेती है – आचार्य शिवमुनि जी*
उद्बोधन प्रदान करते हुए आचार्य श्री शिवमुनि जी ने कहा कि भगवान महावीर आज विद्यमान नहीं है, सिद्ध मुक्त हो चुके हैं किन्तु उनकी साधना, करुणा, मैत्री आज भी विद्यमान है। आचार्य श्री महाश्रमण जी लंबी पदयात्रा कर रहे हैं। आपका प्रेम, आत्मीयता हमें खींच लाती है। महाश्रमण जी ने बुलाया और हम खींचे चले आए। आज का यह दिवस विशेष है। आपके साथ लगता नहीं हम दो हैं, हम एक ही हैं। मानों एक वृक्ष की दो शाखाएं हैं। पूर्व में आचार्य श्री तुलसी एवं आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी से भी मिलन हुआ। निर्ग्रंथ वह होता है जो ऋजु होता है। आपकी सरलता हमें आपके पास बुला लेती है। आपने संवत्सरी एकता की शुरुआत की वह अपने आप में एक मिसाल है, और भी अब इसमें जुड़ते चले जाएंगे। हम पहले भी एक थे अब भी एक हैं आगे भी एक रहेंगे। हम महावीर के साधना पथ पर आगे बढ़ते रहें।
इस अवसर पर मुख्यमुनि श्री महावीर कुमार जी, श्रमण संघ के मंत्री शिरीष मुनिजी, शुभम मुनिजी ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री कुमारश्रमण ने किया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा सूरत द्वारा आचार्य श्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष श्री संजय सुराणा का अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया गया।
*आठ दिनों में 250 किलोमीटर से अधिक पदयात्रा कर गुरुदर्शन करने पहुंचे मुनि कमल कुमार जी*
आचार्य श्री के सिटीलाइट प्रवास का तृतीय दिन एक और दृष्टि से सूरतवासियों के लिए ऐतिहासिक बन गया। जब मात्र नौ दिन में मुंबई के डोंबिवली से 250 किमी से अधिक की पदयात्रा तय कर तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ठाणा –3 ने आज गुरु दर्शन किए।