साउथ हावड़ा,अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्त्वावधान में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रबुद्ध महिला सेमिनार का भव्य आयोजन शरत सदन ऑडिटोरियम में तेरापंथ महिला मंडल साउथ हावड़ा द्वारा आयोजित किया गया। सेमिनार में मुख्य अतिथि सिविल कोर्ट कोलकता जज श्रीमती पूनम सिंधी विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की संगठन मंत्री श्रीमती रमण पटावरी, शिक्षायतन कॉलेज की प्रोफेसर श्रीमती प्रीति सिंधी मुख्य वक्ता अ.भा. ते.म मं. की पूर्व अध्यक्ष, व ट्रस्टी श्रीमती सूरज बरड़िया, प्रेरक वक्ता मोटीवेशनल स्पीकर सुश्री पूजा रितु बोथरा विशेष रूप से उपस्थित थे। सेमिनार में बडी संख्या में महिला शक्ति व श्रद्धालुजन उपस्थित रहे। इस अवसर पर अ.भा. ते. म.मं की पूर्व अध्यक्षा, नारी रत्न श्री तारा बाई सुराणा, श्रीमती अनुपमा नाहटा, श्रीमती संगीता बाफणा, कन्या मंडल प्रभारी श्रीमती सोनम बागरेचा की गरिमामयी उपस्थित रही। सेमिनार के
संस्कार निर्माण में महिला की भूमिका व आधुनिक युग में कैसी हो महिला की जीवन शैली पर विशेष वक्तव्य हुए ।
इस अवसर पर सेमिनार उपस्थित प्रबुद्ध जनो को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा- किसी भी सभ्य, शिष्ट व स्वस्थ समाज के निर्माण में व्यक्ति के संस्कारों का बहुत बड़ा योगदान रहता है। और व्यक्ति के संस्कार निर्माण में महिला की भूमिका सर्वोपरि व महत्त्वपूर्ण होती है। इस दृष्टि से कहा जा सकता है कि संस्कार निर्माण के माध्यम से महिला समाज निर्माण व राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। संस्कार निर्माण में महिला की भूमिका को कभी कमतर नहीं आँका जा सकता। दुनियाँ को संवारने, संजोने वाली व संस्कृति को सुरक्षित रखने वाली एक विशिष्ट शक्ति का नाम महिला है। महिला समाज की संरक्षिका है। भारत की नारी तप और त्याग तथा शक्ति और संयम की जीवंत प्रतिमा है। वह अंधकार से घिरे संसार में मानवता की जगमगाती तारिका है। नारी ममता का मंदिर, दिल का दरियाव व विनय का वैभव है। वह समर्पण की साधना है त्याग उसका स्वभाव है और प्रदान उसका धर्म है। महिला की जीवन शैली में आचार में दृढ़ता. विचारों में सकारात्मकता, संस्कार में सृजनता व व्यवहार में मधुरता का समावेश होना चाहिए। महिला जितनी संस्कारी – होगी परिवार व समाज शक्तिशाली होगा। महिला का दायित्व है कि वह उतना ही बच्चो में अच्छे संस्कारों का बीजा रोपण करें। उन्होंने आगे कहा – साउथ हावडा तेरापंथ महिला मंडल के श्रम से आयोजित प्रबुद्ध महिला सेमिनार सभी के लिए प्रेरणास्रोत बनें।
इस अवसर पर मुनिश्री परमानंद ने कहा- आधुनिकता से तात्पर्य उस व्यक्तित्व से है जिसमें शिक्षा, संस्कार, कार्य कौशल व संस्कृति का समावेश हो । महिलाओं की प्रबुद्धता घर-परिवार में खुशहाली लाये यह अपेक्षा है। बाल मुनि श्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया ।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथी अ.भा.ते.म.मं. की संगठन मंत्री
श्रीमती रमण पटावरी ने कहा- नारी सृजन की शक्ति व प्रेरणापुंज है। प्रो. प्रीति सिंधी ने कहा- नारी अपना निर्माण स्वयं करें। सबको साथ लेकर चलने की अद्भुत शक्ति नारी में होती है। मुख्य वक्ता डा. सुरज बरडिया ने कहा- डिग्रिया तो बहुत है पर खुशियाँ कम होती जा रही है, मकान तो बहुत पर रौनक खत्म होती जा रही है। इसलिए आज जरूरत है बेटियों व बच्चों को संस्कारित बनाने की। प्रेरक वक्ता सुश्री पूजा रितु बोथरा ने कहा -महिलाओ की जीवन शैली संयम प्रधान जीवन शैली होनी चाहिए। महिलाओं में सकारात्मक सोच, अनुशासन का विकास व सशक्तता का होना बहुत जरूरी है – छोटी सी बालिका मायरा चिंडालिया ने नारी शक्ति पर कविता व प्रसंग सुनाकर सबको भाव विभोर बना दिया। तेरापंथ महिला मंडल साउथ हावड़ा की बहनों ने सुमधुर गीत का संगान व युवतियों ने दर्पण शब्द पर अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ कन्या मंडल के मंगलाचरण से हुआ।
स्वागत भाषण ते. म. मं. की अध्यक्षा श्रीमती चंद्रकांता पुगलिया ने दिया। साउथ हावडा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्रीमान लक्ष्मीपत जी बाफना ने शुभकामना देते हुए अपने विचार व्यक्त किये। सुमधुर गायिका श्रीमती अंशु सेठिया ने सुमधुर गीतों का संगान किया। आभार ज्ञापन मंत्री श्रीमती रेखा बैंगानी ने व संचालन उपाध्यक्षा श्रीमती लक्ष्मी गिड़िया व नम्रता नाहटा
.ने संयुक्त रूप से किया। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा अतिथियों, प्रायोजकों का सम्मान किया गया किया गया। कार्यक्रम में विभिन्न सस्थाओं के पदाधिकारी व सदस्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद साउथ हावड़ा द्वारा – सीपीएस का बेनर अनावरण किया।