गुजरात,आहवा-डांग
डांग जिले के सर्वांगीण विकास की दिशा में अधिकारी एवं पदाधिकारी सामूहिक रूप से विचार कर जनता की समस्याओं का सकारात्मक समाधान मिल सके इस दिशा में कार्रवाई की गई है।
डांग विधायक-सह-गुजरात विधानसभा के उप मुख्य दंडक श्री विजयभाई पटेल के अनुसार वलसाड-डांग के युवा सांसद एवं लोकसभा दंडक श्री धवलभाई पटेल और कलेक्टर श्री सहित जिले के उच्च अधिकारियों ने सामूहिक रूप से डांग जन समस्या पर विचार-विमर्श किया।
सर्किट हाउस, सापूतारा में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में श्री धवलभाई पटेल और श्री विजयभाई पटेल के समक्ष कुछ प्रश्न रखे गये।जिसमें महाराष्ट्र के नासिक और नंदुरबार के लिए बस सुविधा बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए लघु उद्योग विकसित करना, पर्यावरण संरक्षण सहित स्थानांतर रोकना, प्राथमिक विद्यालयों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए सर्वेक्षण करना, बीएसएनएल की नेटवर्क कवरेज और क्षमता बढ़ाना शामिल है। अधिकारियो एवं पदाधिकारियों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ाने, जल समस्या के स्थायी समाधान जैसे मुद्दों पर आवश्यक मंत्रणा की।
आहवा मुख्यालय में तालाब को और अधिक सार्वजनिक बनाने के लिए इसकी सफाई करने के अलावा, आहवा में सिविल अस्पताल में रिक्त पदों को भरने और नियमित सफाई बनाए रखने के प्रयासों की भी हिमाक़त की गई। इसके साथ ही आहवा में ब्लड बैंक शुरू करने और पानी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए पूर्व योजना बनाने पर भी चर्चा की गई।
इस बीच, सापूतारा हिल स्टेशन पर चल रहे मानसून महोत्सव पर में स्थानीय कलाकारों/मंडलियों को प्रदर्शन देने और यहां नौकायन गतिविधियों को फिर से शुरू करने के साथ नवागाम में पक्के घर के निर्माण की अनुमति देने के भी चर्चा हुई। बैठक में सापुतारा सहित घाट मार्ग पर यातायात एवं दुर्घटना रोकथाम को लेकर भी विस्तृत चर्चा की गई।
बैठक में सांसद श्री धवलभाई पटेल सहित उप दंडकश्री विजयभाई पटेल, कलेक्टर श्री बी.बी. चौधरी, चीफ़ ऑफ़िसर-सह-प्रांतीय अधिकारी श्री सागर मोवालिया, पुलिस अधिकारी और कार्यकारी अभियंता आदि उपस्थित थे और चर्चा में भाग लिया।
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Previous: सुरत मे वर्षावास के दौरान अपने प्रवचनों मे आचार्य महाश्रमणजी ने कहा कि यौवन का धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में होता रहे सदुपयोग….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात), जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के सूरत शहर में चतुर्मास करने से सूरत की सूरत ही बदल गयी है। डायमण्ड व सिल्क सिटि के रूप में विख्यात यह शहर आध्यात्मिक शहर के रूप में भी ख्यापित हो रहा है। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में वर्तमान में तेरापंथ धर्मसंघ की ‘संस्था शिरोमणि’ तेरापंथी महासभा के त्रिदिवसीय सभा प्रतिनिधि सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इसमें देश-विदेश के लगभग 525 क्षेत्रों 1800 से अधिक संभागी बन रहे हैं। सम्मेलन के दूसरे दिन शुक्रवार को भी महावीर समवसरण उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ प्रतिनिधि संभागियों से जनाकीर्ण बना हुआ था। शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आयारो आगम के माध्यम से उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में यौवन (युवावस्था) महत्त्वपूर्ण होता है। इस अवस्था में बहुत कार्य किया जा सकता है। गृहस्थ जीवन में अर्थार्जन, सामाज अथवा राजनीति में कार्य कर सकता है। जवानी की अवस्था बहुत कार्यकारी भी हो सकती है और जवानी की अवस्था में रास्ता गलत ले लिया जाए तो यह अवस्था पतन के गर्त में ले जाने वाली भी सिद्ध हो सकती है। इसलिए यौवन भी अनर्थकारी हो सकता है। कहीं धन-सम्पत्ति अनर्थ करने वाली हो सकती है तो कहीं कोई लौकिक सेवा में योगदान देने वाली भी बन सकती है। किसी की चिकित्सा, किसी की शिक्षा, समाज की सेवा में भी लगकर कल्याणकारी भी बन सकता है। एक-एक वस्तु का दुरुपयोग भी हो सकता है और सदुपयोग भी हो सकता है, उसका शुक्लपक्ष भी हो सकता है और कृष्णपक्ष भी हो सकता है। तीसरी बात प्रभुत्व की बताई गई है कि किसी को सत्ता मिल जाए, वर्तमान लोकतंत्र में कोई मंत्री बन जाए, किसी पद पर चला जाए तो इसमें भी कोई सत्ता का सदुपयोग कर सकता है तो कोई सत्ता का दुरुपयोग भी कर सकता है। सत्ता में ईमानदारी से कार्य करना, लोगों का कल्याण करना, जनता का सेवा करना सदुपयोग माना जाता है। इसी प्रकार मानव का अविवेकी हो जाना अनर्थकारी ही होता है। यौवन, सत्ता, प्रभुत्व व धन आदि के साथ विवेक जुड़ जाए तो वह कल्याणकारी हो सकता है। आयारो आगम में बताया गया कि अवस्था जा रही है तो आदमी को यह चिंतन करना चाहिए कि वह अपने जीवन का धार्मिक-आध्यात्मिक उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी परिवार के भरण-पोषण के लिए कार्य करता है तो उसके साथ-साथ उसे धार्मिक-आध्यात्मिकता के क्षेत्र में भी गति करने का प्रयास करना चाहिए। जीवन और परिवार को चलाने के लिए अन्य कार्य करने के साथ समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान जैसे सामायिक, ध्यान, जप आदि में समय लगाने का प्रयास करना चाहिए। जितना समय मिल सके, अपने धार्मिक कार्य से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार आदमी के जवानी पर धर्म का अंकुश बना रहे। वृद्धावस्था आने पर तो आदमी को अपना अधिक से अधिक समय धार्मिकता में लगाने का प्रयास करना चाहिए। उम्र और जवानी का जागरूकता के साथ सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने आख्यान क्रम को भी संपादित किया। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने जनता को उद्बोधित किया। तदुपरान्त तपस्वियों ने अपनी-अपनी तपस्या का प्रत्याख्यान किया। जैन विश्व भारती द्वारा साध्वी मुक्तियशाजी द्वारा लिखित शासनश्री साध्वी रतनश्रीजी के जीवनवृत्त ‘अप्रमत्त ज्योति’ को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया। प्रो. मिश्रीलाल माण्डोत द्वारा लिखित ‘आधुनिक राजस्थान की महान विभूतियां’ के दूसरे भाग को भी आचार्यश्री के सम्मुख लोकार्पित किया गया। आचार्यश्री ने दोनों पुस्तकों के संदर्भ में आशीर्वाद प्रदान किया गया। महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री हितेन्द्र मेहता द्वारा तेरापंथ विश्व भारती-मुम्बई के परिसर के प्रस्तावित मास्टर प्लान की वीडियो प्रस्तुत की गई। इस संदर्भ में आचार्यप्रवर ने कहा कि जैन विश्व भारती, अणुव्रत विश्व भारती और प्रेक्षा विश्व भारती भी गुरुदेवश्री तुलसी के सामने आई थी। इस बार तेरापंथ विश्व भारती की सामने आई। जब हमारा चतुर्मास के बाद भ्रमण प्रारम्भ हुआ तो तेरापंथ विश्व भारती का स्थान अधिग्रिहित किया गया, वहां जाना हुआ और कार्यक्रम भी हुआ। मैंने उसकी स्थापना की बात उस दिन बताई थी। यह तेरापंथ विश्व भारती के प्राणतत्त्व धार्मिक-आध्यात्मिक गतिविधियों के रूप में देख रहे हैं। महासभा ट्रस्ट आदि महासभा से जुड़े हुए लोग खूब अच्छा धार्मिक-आध्यात्मिक कार्य करते रहें। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में महासभा के तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन में पुरस्कार एवं सम्मान अर्पण समारोह का आयोजन हुआ। इस संदर्भ में तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ संघ सेवा सम्मान महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्री किशनलाल डागलिया, आचार्य तुलसी समाज सेवा पुरस्कार उपासक श्रेणी व्यवस्थापक श्री जयंतीलाल सुराणा व तेरापंथ विशिष्ट प्रतिभा पुरस्कार डॉ. राज सेठिया-ऑस्ट्रिया को प्रदान किया गया। श्री डागलिया के प्रशस्ति पत्र का वाचन महासभा के उपाध्यक्ष श्री निर्मल गोखरू, श्री सुराणा के प्रशस्ती पत्र का वाचन महासभा उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्र नखत तथा श्री सेठिया के प्रशस्ती पत्र का वाचन महासभा के उपाध्यक्ष श्री समीर वकील ने किया। महासभा के पदाधिकारियों आदि के द्वारा सम्मान/पुरस्कारप्राप्तकर्ताओं को प्रशस्ती पत्र व स्मृति चिन्ह आदि समर्पित किए गए। सम्मान/पुरस्कारकर्ता महानुभावों ने आचार्यश्री के समक्ष अपने आंतरिक भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि अपने जीवन में धार्मिक-आध्यात्मिक साधना के उपरान्त जितनी सेवा हो सके, करने का प्रयास करना चाहिए। इस कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी महासभा के संगठन मंत्री श्री प्रकाश डाकलिया ने किया।Next: सुरत मे चातुर्मास के दौरान आचार्य महाश्रमणजी ने अपने प्रवचन मे कहा कि मोक्ष का प्रवेश द्वार है मानव जीवन ….सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times गुजरात,वेसु, सूरत,गत तीन दिनों जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के देदीप्यमान महासूर्य, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुपावन सन्निधि में आयोजित तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन मानवता के मसीहा के श्रीमुख से पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के अंतिम दिन भी महासभा ने जहां समाज के विशिष्ट व्यक्तित्वों को पुरस्कृत व सम्मानित किया वहीं दूसरी ओर अपने-अपने क्षेत्र में अच्छे कार्य करने वाली सभाओं व उपसभाओं को भी श्रेष्ठ, उत्तम व विशिष्ट श्रेणी के अंतर्गत पुरस्कृत किया। आचार्यश्री ने लोगों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। शनिवार को महावीर समवसरण से भगवान महावीर के प्रतिनिधि युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन संदेश प्रदान करते हुए कहा कि आयारो आगम में बताया गया है कि हे पंडित! तुम समय को जानो। मनुष्य के जीवन में एक-एक क्षण का महत्त्व होता है। पता नहीं किस क्षण में अतिमहत्त्वपूर्ण विचार उत्पन्न हो जाए। चौरासी लाख जीव योनियों में मानव जन्म प्राप्त कर लेना बहुत विशिष्ट बात होती है क्योंकि मोक्ष की प्राप्ति केवल मानव जीवन से ही हो सकती है। अन्य किसी भी योनि में मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं होती। आगम में तो यहां तक कहा गया कि अनुत्तर गति के देव भी मोक्ष नहीं जा सकते। उन्हें मोक्ष पाना है तो पहले मनुष्य के जीवन में आना ही होता है। मानव बनने के उपरान्त ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए इसलिए इस मनुष्य जीवन को मोक्ष का प्रवेश द्वार भी कहा जा सकता है। मानव जीवन प्राप्त करना और उसमें भी साधुत्व को स्वीकार कर लेना मानों कितने सौभाग्य की बात होती है। वृद्धावस्था में कोई साधु बने तो कोई बड़ी बात नहीं, किन्तु छोटी वय में साधु बन जाना, संयम के पथ पर अग्रसर हो जाना बड़ी बात होती है। आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी अपने जीवन की छोटी अवस्था में ही मुनि दीक्षा स्वीकार कर ली थी। हमारे धर्मसंघ में सबसे छोटी उम्र में महासती गुलाबांजी ने दीक्षा ली। लगभग साढे सात वर्ष की अवस्था में उन्होंने साध्वी दीक्षा स्वीकार कर ली थी। कितने-कितने लोग यहां चतुर्मास में रहकर सेवा करते हैं। इस कहा गया है कि आदमी को हर क्षण जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। जितना संभव हो सके, धर्म की आराधना, गुरु की पर्युपासना और सेवा का लाभ लेने का प्रयास करना चाहिए। जब तक शरीर शरीर सक्षम है, आदमी को धर्म, ध्यान, तपस्या व सेवा कर आत्मकल्याण कर लेना चाहिए। समझदार आदमी को समय का मूल्यांकन कर समय को सार्थक बनाने का प्रयास करना चाहिए। समय सबको एक समान ही मिलता है। एक दिन में 24 घंटे सभी को प्राप्त होता है, किन्तु इन प्राप्त घंटों का कौन कितना और कैसे उपयोग करता है, वह खास बात होती है। शनिवार को सायं सात से आठ बजे के बीच सामायिक करना भी क्षण का कितना अच्छा उपयोग हो जाता है। प्रवचन के साथ सामायिक और उपवास के साथ पौषध हो जाता है तो समय का और अधिक सार्थक बनाने का प्रयास हो जाता है। हम सभी क्षण का धार्मिक-आध्यात्मिक लाभ उठाने का प्रयास करें, यह काम्य है। आचार्यश्री ने कहा कि चतुर्मास का खूब अच्छा क्रम चल रहा है। धर्म को जानने, तपस्या का क्रम, ज्ञान के आराधना से आगे बढ़ता रहे। तदुपरान्त आचार्यश्री ने आख्यान क्रम को संपादित किया। अनेकानेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी तपस्याओं का प्रत्याख्यान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश डागा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। राज्यसभा सांसद व एस.आर.आर. डायमण्ड के डायरेक्टर श्री गोविंद ढोलकिया ने आचार्यश्री के दर्शन करने के उपरान्त अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि हमारा कोई पूर्व के पुण्य का प्रभाव है कि मुझे आचार्यश्री महाश्रमणजी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे यहां आने का अवसर मिला, यह बड़े भाग्य की बात है। इस दौरान ग्रीन लिप डायमण्ड के चेयरमेन श्री मुकेश पटेल ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के तीसरे दिन मंचीय उपक्रम रहा। पुरस्कार व सम्मान अर्पण समारोह में महासभा के पूर्व मुख्य न्यासी श्री सुरेशचन्द गोयल को तेरापंथ संघ सेवा सम्मान, उपसभा के राष्ट्रीय संयोजक श्री लक्ष्मीलाल बाफना को आचार्य तुलसी समाज सेवा पुरस्कार व तेरापंथ एन.आर.आई. समिट के संयोजक श्री सुरेन्द्र पटावरी (बोरड़) को तेरापंथ विशिष्ट प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किया गया। सभी सम्मान/पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं को महासभा के पदाधिकारियों व चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों आदि ने प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह आदि प्रदान किए गए। श्री गोयल के प्रशस्ति पत्र का वाचन महासभा के उपाध्यक्ष श्री बसंत सुराणा, श्री बाफना के प्रशस्ति पत्र का वाचन महासभा के उपाध्यक्ष श्री फूलचन्द छत्रावत तथा श्री पटावरी के प्रशस्ति पत्र का वाचन महासभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री हितेन्द्र मेहता ने किया। सम्मान/पुरस्कार प्राप्तकर्ता महानुभावों ने आचार्यश्री महाश्रमणजी के समक्ष अपनी श्रद्धासिक्त भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। इस संदर्भ में आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन आशीष प्रदान करते हुए कहा कि सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के समापन की निकटता है। सभाएं अपने-अपने क्षेत्रों में खूब धार्मिक-आध्यात्मिक कार्य संपादित करने का प्रयास करती रहें। इस जीवन में आत्म उत्थान के लिए जो कर सकें, करने का प्रयास हो। जितना हो सके दूसरों की सेवा और तेरापंथ धर्मसंघ की सेवा देने का प्रयास होता रहे। आज सम्मानित व पुरस्कृत तीनों व्यक्ति अच्छा पुरुषार्थ करते रहें, धार्मिक-आध्यात्मिक विकास का प्रयास करते रहें। तेरापंथी महासभा समाज की अद्वितीय संस्था है, वह अपने ढंग से धार्मिक-आध्यात्मिक कार्य को आगे बढ़ाती रहे। महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने श्रेष्ठ उपसभा भिलोड़ा, उत्तम वीरपुर-बिहार व माणगांव-महाराष्ट्र, विशिष्ट उपसभा एसडी कोटे-कर्नाटक व प्रान्तीज-गुजरात को चुना गया। सभाओं के तीन श्रेणियों में लघु के अंतर्गत श्रेष्ठ इचलकरंजी, उत्तम रेलमगरा व विशिष्ट शालिमारबाग व धुलाबाड़ी, मध्यम में श्रेष्ठ सभा भुज, उत्तम गुलाबबाग व विशिष्ट राजाजी नगर-बेंगलुरु व बृहद् सभाओं में श्रेष्ठ सभा गुवाहाटी, उत्तम कांकरिया-मणिनगर व विशिष्ट सभा कांदिवली-मुम्बई के नामों की घोषणा की। चयनित सभी सभा व उपसभाओं को पुरस्कृत किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन महासभा के उपाध्यक्ष श्री संजय खटेड़ ने किया।