गुवाहाटी में मुनि श्री प्रशांत जी के सानिध्य में मंत्र दीक्षा का आयोजन…..सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर,Key Line Times मंत्र दीक्षा का अर्थ अच्छे संकल्पों की दीक्षा-शिक्षा : मुनि प्रशांत गुवाहाटी, 11 अगस्त। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के निर्देशन एवं तेरापंथ युवक परिषद्, गुवाहाटी तत्वावधान में मंत्र दीक्षा कार्यशाला मुनि श्री प्रशांत कुमारजी, मुनि श्री कुमुद कुमारजी के सान्निध्य में आयोजित हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांत कुमारजी ने कहा – प्रात: उठते ही नवकार मंत्र का जप करना चाहिए, उसे अपना जीवन साथी बना लेना चाहिए। यह मंत्र नहीं अपितु शक्तिशाली महामंत्र है। चार गति संसार एवं मोक्ष को जानने का सटीक तरीका है। मनुष्य गति में अध्यात्म जुड़ जाए तो हमारी यह गति सार्थक बन जाती है। जीवन को अच्छा बनाने के लिए सद्गुणों का विकास होना जरूरी है। आठ कर्मों के कारण ही हम संसार में घूम रहे हैं। आठों ही कर्म को सीखने के साथ किस कारण से किस कर्म बंधन होता है ये जानकर कर्म बंधन से बचना चाहिए। जीवन में गुण एवं अवगुण दोनों आ सकते हैं। कौन-सा संस्कार हमें ग्रहण करना है ये चिंतन करना चाहिए। हमारे जीवन निर्माण में मित्र का भी महत्व रहता है। गलत मित्र का साथ हमारे जीवन को गलत पथ पर ले जाता है, पाप कर्म से जितना बचने का मनोभाव होगा उतना ही हमारा जीवन व्यवहार अच्छा बनेगा। मंत्र दीक्षा स्वीकार करने वाले ज्ञानार्थी वीतराग बनने का चिंतन करते रहें। मंत्र दीक्षा का मतलब कुछ संकल्पों की दीक्षा। मां का चिंतन, व्यवहार, आचरण कार्यशैली एवं जीवनशैली का बहुत असर बच्चों पर होता है। सद्संस्कारी बच्चे का भविष्य सुखद होता है। माता-पिता का अपने कर्तव्य का सम्यक् पालन बच्चे के व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं। माता-पिता का मंगल भाव बच्चों के लिए सुखद होता है। हमें अपनी जिंदगी को ज्ञान की रोशनी एवं गुणों की सुगंध से भरनी चाहिए। हमें देव गुरु धर्म के प्रति पूरी श्रद्धा रखनी चाहिए। मुनि श्री कुमुद कुमारजी ने कहा – हमारे जीवन में संस्कार का बहुत महत्व है। जितना श्वास का महत्व होता है उतना ही संस्कार जरूरी है। बिना संस्कार के जीवन अच्छा नहीं होता। संस्कारी बच्चे भविष्य को सुखद बना देते हैं। ज्ञानशाला जीवन निर्माण की प्रयोगशाला है। प्रारम्भ से मिले संस्कार जीवन पर्यंत काम आते हैं। संस्कारों का सिंचन गर्भावस्था में ही होना चाहिए। घर परिवेश का वातावरण का असर बच्चों के मस्तिष्क पर होता है उसी आधार पर उसका व्यवहार एवं आचरण बनता है। हमारी भावी पीढ़ी मूलभूत संस्कारों से भावित रहे, ऐसा प्रयास सबको करना चाहिए। मंत्र दीक्षा स्वीकार करने वाले ज्ञानार्थी अपने जीवन को गौरवमय बनाएं, जिससे दूसरों को प्रेरणा मिल सके। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ युवक परिषद् के विजय गीत से हुआ। नवकार मंत्र गीत पर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी ने रोचक प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष सतीश कुमार भादानी ने विषय प्रस्तुति दी। आभार तेयुप उपाध्यक्ष नवीन भंसाली ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथ युवक परिषद् मंत्री पंकज सेठिया ने किया। इस आशय की जानकारी कार्यकारिणी सदस्य सय्यम छाजेड़ ने दी।। समाचार प्रदाता ,पूजा महनोत , गौहाटी
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2 months ago