*तप से आत्म शक्ति का प्रवर्धन होता है – मुनि श्री जिनेश कुमार जी*
*मासखमण तप अभिनंदन का कार्यक्रम संपन्न*
साउथ हावड़ा
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री जिनेश कुमारजी के सान्निध्य में तथा साउथ हावड़ा तेरापंथ सभा के तत्वावधान में श्री गुलाबचंद जी दुगड़ (बेलूड़) के मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन प्रेक्षा विहार में हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा- जैन धर्म में तप का विशिष्ठ स्थान है। तप से अतीत के पाप कर्मों का प्रक्षालन होता है। तप से अनागत की वासना का विसर्जन होता है। तप से वर्तमान में आत्म शक्ति का प्रवर्धन होता है। तप से देहासक्ति का सम्यक् विसर्जन होता है। तप से आत्मा का तेज बढ़ता है। तप से अपूर्व निर्जरा होती है। तप आत्मशोधन जीवन जागरण और बंधन मुक्ति का उपाय है। जिसका मनोबल मजबूत होता है और घर का वातावरण अनुकूल होता है वहीं तपस्या कर सकता है। मुनिश्री ने आगे कहा जिनशासन में तप की महिमा अपरंपार है। एक एक से बढकर तपस्वी हुए है। ऐसे एक उपवास में भी दिन में तारे दिखने लग जाते है धन्य है वे लोग जो मासखमण की तपस्या हंसते हंसते कर लेते है। तपस्या में कोई भी प्रकार का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए भाई गुलाबजी तपस्वी है, सेवाभावी है। इनकी तपस्या की सभी अनुमोदना करते है। तप अभिनंदन कार्यक्रम में तेरापंथ सभा दक्षिण हावड़ा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा ने अपने विचार रखे। साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभाजी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन तेरापंथ युवक परीषद के अध्यक्ष गगनदीप बैद, अभिनंदन पत्र का वाचन तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष सुशील जी गिड़िया ने किया। मुनिश्री सुविधि कुमार जी व साध्वी समन्वय प्रभा जी द्वारा संदेश का वाचन तेरापंथ सभा बाली बेलूड़ के अध्यक्ष विवेक दूगड़ व पूर्व मंत्री शांति लाल सामसुखा ने किया। परिवार वालों ने सामूहिक तप गीत का संगान किया। तेरापंथ सभा के मंत्री बसंत पटावरी ने आभार किया। तपस्वी का सभा द्वारा मोमेन्टो, साहित्य के द्वारा सम्मान किया गया। तपस्वी की तप अनुमोदन में अनेक भाई – बहिनों ने तपस्या करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया।इस अवसर पर तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने मुनिश्री के सान्निध्य में सम्यक् दर्शन कार्यशाला के बेनर का अनावरण किया।