*🌸 चातुर्मास में विशेष रूप से हो तप आराधना – युगप्रधान आचार्य महाश्रमण 🌸*
*आराध्य की अभिवंदना में सभा संस्थाओं द्वारा स्वागत प्रस्तुति*
*गुरुदेव ने दी मनुष्य जीवन को सार्थक बनाने की प्रेरणा*
17.07.2014, बुधवार, सूरत (गुजरात)
अणुव्रत अनुशास्ता परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का संयम विहार में पावन प्रवास हो रहा है। आगामी दीक्षा महोत्सव, चातुर्मास स्थापना दिवस, भिक्षु बोधि दिवस जैसे अनेकों कार्यक्रमों के लिए श्रावक समाज में उत्साह का माहौल है। संयम विहार के परिसर ने सुबह से शाम तक श्रद्धालु श्रावक समाज का आवागमन बड़ी संख्या में हो रहा है। प्रातः में आचार्य श्री के परिसर में निर्मित आवास कार्यालय आदि का अवलोकन भी किया। आज महावीर समवसरण में मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में स्वागत समारोह की कड़ी के अंतर्गत कई प्रस्तुतियां भी हुई।
मंगल धर्म देशना देते हुए आचार्य श्री ने कहा – मनुष्य जीवन बड़ा महत्वपूर्ण है। चौरासी लाख जीव योनियों में सर्व श्रेष्ट इस जीवन काल को माना गया है। क्योंकि धर्म की उत्कृष्ट साधना इसी जीवन में संभव है। चौदहवें गुणस्थान की प्राप्ति सिर्फ गर्भज मनुष्य ही कर सकता है, दूसरा कोई प्राणी नहीं। पांचवे गुणस्थान तक तो तिर्यंच भी जा सकते है लेकिन छठा व उससे ऊपर के गुणस्थान में वे नहीं जा सकते, वहां जाना संज्ञी मनुष्य के लिए ही संभव है। चौथा गुणस्थान चारों गतियों में उपलब्ध हो सकता है। तत्वज्ञान का विवेचन करते हुए गुरुदेव ने बताया कि केवल ज्ञानी बनने के बाद घाती कर्मों का बंध नहीं होता। तो यह स्पष्ट हो गया कि मानव जीवन सर्वश्रेष्ट है, किन्तु उसका उपयोग भी सर्वश्रेष्ट होना जरूरी है। कोई इसका अच्छा उपयोग तो कोई अधम कार्यों में भी जा सकता है। व्यक्ति पाप कार्यों से बचने का प्रयास करे।
तपस्या के संदर्भ में प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्य श्री ने कहा चातुर्मास काल में तपस्या की अच्छी आराधना की जा सकती है। कोई उपवास, तेला, अठाई तो कोई इससे भी आगे बढ़ सकता है। एक एक कदम आगे बढ़ाते रहना चाहिए। जैसी शरीर की क्षमता हो तप की आराधना करनी चाहिए। नवकारसी जैसा तप तो रोज हो सकता है। रात्रि भोजन से भी बचने का प्रयास हो। यह चातुर्मास का काल ज्ञानाराधना और तप आराधना का काल है। सभी अधिक से अधिक इसका लाभ उठाने का प्रयास करे।
स्वागत अभिनंदन के क्रम में तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल, तेरापंथ किशोर मंडल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के सदस्यों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। ज्ञानशाला उधना के ज्ञानार्थियों ने गीतमय परिसंवाद प्रस्तुत किया।









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