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October 16, 2024

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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का अन्तिम दिन मनाया गया जीवनविज्ञान दिवस के रूप में…. कुसुम लुनिया 7-10-2024 शाहदरा, दिल्ली अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा उद्घोषित, अणुव्रत विश्व भारती द्वारा निर्देशित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तिम दिन जीवन विज्ञान दिवस पर विचार व्यक्त करते हुए विदुषी साध्वी श्री संगीत श्री जी ने कहा कि जीवन विज्ञान के रूप में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने मानवता की जडों को सिंचन का अभिनव प्रयोग दिया। आचार- विचार- संस्कार के परिष्कार की परिकल्पना प्रस्तुत की।इस के द्वारा अणुव्रत के छोटे छोटे नियमों से संकल्पित होकर, प्रेक्षाध्यान से दिमाग को प्रशिक्षित करके विधार्थियों का सर्वागींण विकास किया जा सकता है।इस प्रकार जीवन विज्ञान जीवन जीने की कला है । आगम वाचन करते हुए आपने कहा कि अणुव्रत की मूल आत्मा संयम है। संयम की साधना बहुत उपयोगी होती है, हम संयम किसका करें? आहार का, विचारों का ,चलने का, फिरने का, बोलने का और अब तो मोबायल उपयोग काभी संयम जरूरी है।शाहदरा सभा के चातुर्मास स्थल ओसवाल भवन विवेक विहार में श्रद्धालुओं को अनुष्ठान के पश्चात साध्वीश्री जी के इन विचारो से परीषद पल्लवित हो गई। साध्वी श्री कमलविभा जी ने कहा कि कलापूर्ण जीवन जीने का नाम ही जीवन विज्ञान है। सभी क्रियाएं हमारे मस्तिष्क से संचालित होती है। रीजनिंग मांइड बुद्धि का विकास करता है और इमोशनल माईडं चरित्र को शुद्ध करता है।जीवन में सफलता पाने के लिए दोनो मस्तिष्क का संतुलन आवश्यक है। जीवन विज्ञान हमारी शारीरिक मानसिक व भावनात्मक विकास का महत्वपूर्ण उपक्रम है। अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ कुसुम लुनिया ने इस अवसर पर बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश जी नाहर एवं महामंत्री श्री भीखम सुराणा के मार्गदर्शन में सहसंयोजकों के सहयोग और अणुव्रत कार्यकर्ताओ के समर्पण से भारत और नेपाल में सैकडों स्थानो पर हजारों कार्यकर्ताओं ने अपने श्रम का सफल नियोजन किया और लाखों लोग लाभान्वित हुए और विगत छह दिनों का सफल आयोजन हुआ। डॉ. लुनिया ने आगे बताया कि जीवन विज्ञान एक ऐसी विधा है जिसके माध्यम से बच्चों का भावनात्मक पक्ष मजबूत करके उनके सर्वागींण व्यक्तित्व विकास का मार्ग प्रशस्त किया जासकता है।आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा विकसित इस विधा का अणुविभा के जीवन विज्ञान विभाग के पास पुरा कोर्स बना हुआ है।सैंकडों सर्टिफाई प्रशिक्षक हैं, इनके द्वारा हजारों विधालयों व लाखों विधार्थियों मे सफल प्रयोग हो रहे हैं। इस अवसर जैन श्वे. तेरापंथ सभा शाहदरा अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंघी, मंत्री श्री सुरेश भंसाली, सहमंत्री श्री महेन्द्र चोरडिया ,ओसवाल समाज के अध्यक्ष श्री आनन्द बुच्चा एवं भारतभूषण जी सिंघल की विशेष उपस्थिति रही। विशेष ज्ञातव्य रहे कि साध्वीश्री संगीत श्री जी, साध्वीश्री शान्तिप्रभाजी, साध्वीश्री कमल विभाजी और साध्वीश्री मुदिताश्री जी चारो साध्वियां वर्षो से संयम आधारित एकान्तर तप का प्रयोग करते हुए जनता को प्रतिबोधित कर रही हैं।

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का अन्तिम दिन मनाया गया जीवनविज्ञान दिवस के रूप में…. कुसुम लुनिया 7-10-2024 शाहदरा, दिल्ली अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा उद्घोषित, अणुव्रत विश्व भारती द्वारा निर्देशित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अन्तिम दिन जीवन विज्ञान दिवस पर विचार व्यक्त करते हुए विदुषी साध्वी श्री संगीत श्री जी ने कहा कि जीवन विज्ञान के रूप में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने मानवता की जडों को सिंचन का अभिनव प्रयोग दिया। आचार- विचार- संस्कार के परिष्कार की परिकल्पना प्रस्तुत की।इस के द्वारा अणुव्रत के छोटे छोटे नियमों से संकल्पित होकर, प्रेक्षाध्यान से दिमाग को प्रशिक्षित करके विधार्थियों का सर्वागींण विकास किया जा सकता है।इस प्रकार जीवन विज्ञान जीवन जीने की कला है । आगम वाचन करते हुए आपने कहा कि अणुव्रत की मूल आत्मा संयम है। संयम की साधना बहुत उपयोगी होती है, हम संयम किसका करें? आहार का, विचारों का ,चलने का, फिरने का, बोलने का और अब तो मोबायल उपयोग काभी संयम जरूरी है।शाहदरा सभा के चातुर्मास स्थल ओसवाल भवन विवेक विहार में श्रद्धालुओं को अनुष्ठान के पश्चात साध्वीश्री जी के इन विचारो से परीषद पल्लवित हो गई। साध्वी श्री कमलविभा जी ने कहा कि कलापूर्ण जीवन जीने का नाम ही जीवन विज्ञान है। सभी क्रियाएं हमारे मस्तिष्क से संचालित होती है। रीजनिंग मांइड बुद्धि का विकास करता है और इमोशनल माईडं चरित्र को शुद्ध करता है।जीवन में सफलता पाने के लिए दोनो मस्तिष्क का संतुलन आवश्यक है। जीवन विज्ञान हमारी शारीरिक मानसिक व भावनात्मक विकास का महत्वपूर्ण उपक्रम है। अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ कुसुम लुनिया ने इस अवसर पर बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश जी नाहर एवं महामंत्री श्री भीखम सुराणा के मार्गदर्शन में सहसंयोजकों के सहयोग और अणुव्रत कार्यकर्ताओ के समर्पण से भारत और नेपाल में सैकडों स्थानो पर हजारों कार्यकर्ताओं ने अपने श्रम का सफल नियोजन किया और लाखों लोग लाभान्वित हुए और विगत छह दिनों का सफल आयोजन हुआ। डॉ. लुनिया ने आगे बताया कि जीवन विज्ञान एक ऐसी विधा है जिसके माध्यम से बच्चों का भावनात्मक पक्ष मजबूत करके उनके सर्वागींण व्यक्तित्व विकास का मार्ग प्रशस्त किया जासकता है।आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा विकसित इस विधा का अणुविभा के जीवन विज्ञान विभाग के पास पुरा कोर्स बना हुआ है।सैंकडों सर्टिफाई प्रशिक्षक हैं, इनके द्वारा हजारों विधालयों व लाखों विधार्थियों मे सफल प्रयोग हो रहे हैं। इस अवसर जैन श्वे. तेरापंथ सभा शाहदरा अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंघी, मंत्री श्री सुरेश भंसाली, सहमंत्री श्री महेन्द्र चोरडिया ,ओसवाल समाज के अध्यक्ष श्री आनन्द बुच्चा एवं भारतभूषण जी सिंघल की विशेष उपस्थिति रही। विशेष ज्ञातव्य रहे कि साध्वीश्री संगीत श्री जी, साध्वीश्री शान्तिप्रभाजी, साध्वीश्री कमल विभाजी और साध्वीश्री मुदिताश्री जी चारो साध्वियां वर्षो से संयम आधारित एकान्तर तप का प्रयोग करते हुए जनता को प्रतिबोधित कर रही हैं।

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