




गोरेगांव (मुंबई)
प्रकति के गोद में बसा सेंट पायस कॉलेज के मधुर एवं रमणीय वातावरण में तेरापंथ के सरताज का एक दिवसीय पावन प्रवास सा आनंद सम्पन्न हुवा!
परम् पूज्य,कृपानिधान के मुखार बिंद सें नमस्कार महामंत्र द्वारा कार्यक्रम की सुरुवात हुई,
संयोजक मुनि श्री दिनेश कुमार जी स्वामी नें फऱमाया की गोरेगांव कों पुनः पूज्य प्रवर का एक दिवसीय पावन प्रवास मिल गया जिससे गोरेगांव में चार चाँद लग गए!
गुरुदेव नें अपनी अमृतवाणी में फरमाया की धर्म का मूल है – आत्मा को शुद्ध बनाना,
हमारे जीवन में आत्मा तो मूल है ही उसके साथ ही शरीर, वाणी और मन भी हैं व इन चारों का योग ही जीवन है | शरीर से प्रवृति, वाणी से बोलना व मन से सोचना | मनुष्य के पास जो वाणी संपदा है व शब्द है वह पशुओं में कहाँ है ? हमारी भाषा विकसित है पर कब, कहाँ, क्यों और कितना बोलना चाहिए इसकी भी गरिमा रहे | पहली बात है – मितभाषिता व वाणी का संयम व विवेक | न बोलना बड़ी बात है न ही नहीं बोलना बड़ी बात वाणी का सम्यक व विवेकपूर्ण उपयोग | शिक्षण संस्था में भी बोलकर ज्ञान प्रदान किया जाता है तथा बोलकर जिज्ञासा समाधान भी | साधु भी कथा व प्रवचन के माध्यम से जनजन को ज्ञान देते हैं | जैन मतानुसार २४ तीर्थंकर हुए – पहले ऋषभ प्रभु व अंतिम महावीर | जैन में निर्वस्त्र रहने वाले साधु दिगम्बर व श्वेत वरत्र पहनने वाले श्वेताम्बर | अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह ये पांच महाव्रत होते है, साधु इनके पूर्ण पालक व गृहस्थ आंशिक पालन करने वाले, अणुव्रती | इस जैन श्वे. तेरापंथ के प्रथम आचार्य भिक्षु हुए | आचार्य तुलसी ९ वें व आचार्य महाप्रज्ञ १० वें आचार्य हुए जिनका प्रथम पदार्पण इस मुंबई में हुआ | हम मूर्ती-पूजा न करके आत्मविशुद्धि को ही धर्म का प्राण मानते हैं | प्राणी-मात्र के साथ करुणा व मैत्री का व्यवहार, सद्भावना, नैतिकता रक्खों व नशा मुक्त जीवन जीओ | किसी भी धर्म को मानों लेकिन अच्छा जीवन जीओ | आत्मवाद, कर्मवाद, पुनर्जन्मवाद ये जैन सिद्धान्त के प्राणतत्व है | आत्मा कभी नहीं मरती, चार गतियों – नरक, तीर्यंच, मनुष्य व देव गति में भ्रमण करती रहती है पर मोक्ष जाने के बाद फिर जन्म मरण नहीं होता | हम रुपैया-पैसा, जमीन, धर मकान आदि के पूर्ण त्यागी होते है. न खाना पकाना न पकवाना | गृहस्थों के घर में उनके लिए बने भोजन से भंवरे जी तरह थोड़ा थोड़ा लेकर पेट भरना| धर्म का मूल है – आत्मा को शुद्ध व संयमित बनाना |
इस अवसर पर फादर एनीसेटो परेरा
(प्राचार्य सेंट पायस कॉलेज) गोरेगांव
एवं फादर डॉक्टर माइकल रोझारियों नें भी पूज्य प्रवर का कॉलेज के प्रांगण में स्वागत करतें हुवें अपने भावों की अभिव्यक्ति दी!
मुंबई प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष मदन जी तातेड़, सुरेन्द्र जी कोठारी, विनोद जी बोहरा आदि एवं विशेष सहयोग श्री राजकुमार जी चपलोत का रहा एवं विशेष उपस्थिति रही!
सभा अध्यक्ष श्री चतर जी सिंघवी, भीमराज जी चंड़ालिया,तेयुप अध्यक्ष रमेश जी सिंघवी, महिला मंडल संयोजिका श्री मति प्रतिमा जी सांखला आदि नें अपने विचारों की प्रस्तुति दी,
कॉलेज प्रांगण में विराजमान मुख्य मुनि प्रवर, साध्वी प्रमुखा जी, साध्वी वर्या जी एवं सभी धवल रश्मीयों के दर्शन किए एवं प्रेरणा पाथेय ग्रहण किया!
कार्यक्रम कों सफल बनाने में सभा मंत्री श्री रमेश जी राठौड़ , कोषाध्यक्ष श्री रमेश जी बोहरा,तेयुप मंत्री सुमित चोरड़िया, कोषाध्यक्ष श्री नीलेश सांखला,किशोर मंडल संयोजक अवि धाकड़, देव कच्छारा, महिला मंडल सह-संयोजिका सें श्री मति ममताजी चिप्पड़, कल्पना जी चोरड़िया, कोषाध्यक्ष श्री मति पिंकीजी सांखला कन्या मंडल सें संयोजिका रेनी सिसोदिया ,प्रज्ञा सिंघवी एवं पुरे तेरापंथ समाज तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद,महिला मंडल, किशोर मंडल, कन्या मंडल एवं पुरे समाज सें सराहनीय उपस्थिति एवं सहयोग रहा ।
समाचार प्रदाता.. विकास धाकड





