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कमल जैन (अनोखा कवि) वरिष्ठ संवाददाता
Key Line Times
बागपत,बागपत के पारंपरिक स्वाद और विशिष्ट उत्पादों को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल शुरू हो चुकी है। जिले की प्रसिद्ध टटीरी की बालूशाही और निरपुडा गांव के छुवारे के लड्डू (पाक के लड्डू) को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) दिलाने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है। वर्षों से अपनी विशिष्ट विधि, प्राकृतिक स्वाद और परंपरागत कारीगरी के कारण ये उत्पाद स्थानीय बाजारों में खास पहचान रखते हैं।बागपत पहले भी गुड़, होम फर्निशिंग और रटौल आम जैसे उत्पादों को GI टैग दिलाकर राष्ट्रीय मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है। इन उत्पादों को GI टैग मिलने के बाद जिले की कृषि और कारीगरी आधारित अर्थव्यवस्था को नई मजबूती मिली। अब इन्हीं सफलताओं के आधार पर नए उत्पादों को भी वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिशें की जा रही हैं।टटीरी की बालूशाही बागपत के पारंपरिक स्वाद का प्रतीक मानी जाती है। देसी घी की खुशबू, खास कुरकुरापन और पीढ़ियों से चली आ रही स्थानीय विधि इसे अन्य जगह बनी बालूशाही से अलग बनाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि GI टैग मिलने के बाद इसे प्रीमियम मिठाई के तौर पर बड़े बाजारों में स्थान मिल सकता है। इससे मिठाई उद्योग को विस्तार मिलेगा और स्थानीय कारोबारी तथा कारीगरों की आय में भी बढ़ोतरी संभव है।उधर चौगामा क्षेत्र के निरपुडा गांव के छुवारे के लड्डू, जिन्हें स्थानीय रूप से पाक के लड्डू कहा जाता है, अपने पोषण, गुणकारी तत्वों और पारंपरिक निर्माण प्रक्रिया के लिए प्रसिद्ध हैं। सूखे खजूर और देसी सामग्री से बनने वाले ये लड्डू न सिर्फ स्वादिष्ट हैं बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी माने जाते हैं। GI टैग मिलना गांव की महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर साबित हो सकता है। बेहतर पैकेजिंग, ई-मार्केटिंग और स्वास्थ्य उत्पाद श्रेणी में प्रमोशन के साथ इन लड्डुओं की मांग कई गुना बढ़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।बागपत में चावल के लिए ब्लॉक–स्तर पर क्लस्टर मॉडल विकसित करने की तैयारी भी चल रही है, जिससे जिले के कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और विपणन क्षमता में सुधार आएगा। इन सभी पहलों के साथ बागपत की पारंपरिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई मजबूती मिलने की उम्मीद है।

