





🌸 जीवन में हो आध्यात्मिक विकास : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-मानव जीवन रूपी अमूल्य पूंजी को वृद्धिंगत करने को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित
-साध्वीवर्याजी ने भी जनता को किया उद्बोधित
-सांताक्रूज ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने दी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति
09.12.2023, शनिवार, सांताक्रूज, मुम्बई (महाराष्ट्र) :
सांताक्रूज में स्थित एस.एन.डी.टी. महिला विद्यापीठ में विराजमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, आध्यात्मिक जगत के महागुरु, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को तीर्थंकर समवसरण में उपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्र में कई बार प्रेरणाएं दृष्टांत के माध्यम से दी जाती हैं। तीन वणिक पुत्रों के माध्यम से मानव जीवन रूपी महत्त्वपूर्ण पूंजी को अनावश्यक गंवाने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
पहला तो आदमी वह होता है तो चौरासी लाख जीव योनियों में दुर्लभ मानव जीवन और अनमोल पूंजी को अनावश्यक कार्यों में लगा देता है। चोरी, हत्या, झूठ, ठगी आदि में लगाकर नष्ट कर देता है और वह उसके अनुसार नरक अथवा तीर्यंच गति को प्राप्त करता है। एक आदमी न तो पाप करता है और नहीं बहुत ज्यादा धर्म, ध्यान, त्याग, व्रत, साधना आदि करता है। सामान्य जीवन जीता है, तो उसकी अगली गति मानव की पा लेता है तो उसने न तो मानव जीवन रूपी खजाने को ज्यादा खोया और न ही उसमें ज्यादा इजाफा करता है। एक आदमी अपने जीवन रूपी पूंजी को धर्म-अध्यात्म, साधना आदि में लगाता है। सेवा का कार्य करते हुए अपनी पूंजी को बढ़ाता है और मनुष्य गति से देव गति को प्राप्त कर लेता है।
इसलिए कहा गया कि वह माता शुत्र और पिता वैरी के समान होता है, जो अपने बच्चों को शिक्षित नहीं करते। वे माता-पिता भी दुश्मन कहे गए हैं, जो अपने बच्चों को साधते नहीं हैं, अच्छे संस्कारों पर चलने को उत्प्रेरित नहीं करते हैं। उन्हें सुन्दर जीवन जीने की प्रेरणा नहीं देते हैं। मानव जीवन रूपी पूंजी को सत्कर्मों के निवेष कर उसे निरंतर बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने सांताक्रूजवासियों को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि यहां के लोगों में खूब नैतिक मूल्यों का विकास होता रहे। आचार्यश्री ने उपस्थित अजरामर संप्रदाय की साध्वियों को भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। अजरामर की साध्वी भक्तिकुमारजी ने कहा कि आचार्यश्री महाश्रमणजी के मुम्बई में चतुर्मास और विहरण करने से मानों यहां भक्ति का सागर लहरा रहा है। आपके दर्शन कर हम भी धन्य हो गए। आचार्यश्री ने उनके गुरु के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की।
आचार्यश्री के अभिनंदन में स्वागताध्यक्ष श्री नरेश खाब्या ने अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल की सदस्याओं व ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। सांताक्रूज ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी व आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।






