
सुरेंंद्र मुनोत, राष्ट्रीय सहायक संपादक
Key Line Times
नई दिल्ली/ मेलबर्न देश विदेश में नागरी लिपि का प्रचार प्रसार करने वाली प्रतिनिधि संस्था नागरी लिपि परिषद की आस्ट्रेलिया इकाई ने ‘ प्रवासी परिप्रेक्ष्य में नागरी लिपि का संरक्षण एवं संवर्धन ‘ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता नागरी लिपि परिषद के महामंत्री और न्यूयॉर्क अमेरिका से प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ के प्रधान संपादक डॉ हरिसिंह पाल ने की। परिषद की आस्ट्रेलिया इकाई की डॉ डॉ सुनीता शर्मा के कुशल संचालन में आस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर,मारीशस , तंजानिया,रूस, इंडोनेशिया और भारत के नागरी लिपि विद्वानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। काशी के कवि श्री मोहन द्विवेदी की नागरी लिपि वंदना ‘जयति नागरी ‘ से शुरू हुई संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए संयोजक डॉ सुनीता शर्मा ने नागरी लिपि को भारत की सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक के रूप में रेखांकित किया।
आस्ट्रेलिया के सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार डॉ सुभाष शर्मा ने प्रवासी बच्चों में नागरी लिपि और हिंदी भाषा सीखने और उसके संरक्षण पर जोर दिया। सिडनी के हिंदी सेवी श्री हरिहर झा ने नागरी लिपि और हिंदी भाषा के वैश्विक प्रचार प्रसार में प्रवासियों के योगदान को एक कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया। सिंगापुर की डॉ स्मिता सिंह और सिडनी की श्रीमती सुषमा मिष्ठा ने घर और समुदाय में हिंदी बोलने और भारतीय संस्कृति को बनाए रखने पर बल दिया। तंजानिया की डॉ सारिका जेठालिया,मारीशस की डॉ सुनीति नंदन और मेलबर्न की सुमन जैन ने बच्चों के लिए अभिनव शिक्षण पद्धतियां साझा कीं। सिडनी के प्रगीत कुंवर और डॉ भावना कुंवर ने कविता के माध्यम से नागरी लिपि और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार पर अपने अनुभव साझा किए। रूस की डॉ अनूप आर्या ने अंतरराष्ट्रीय प्रचार की चुनौतियों, जबकि जापान की श्रीमती सुदेश नूर ने गीता के हिंदी अनुवादक के वैश्विक प्रसार पर बल दिया। चेन्नई, तमिलनाडु के नागरी हिंदी प्रचारक सेतुरमण अनंत कृष्णन ने नागरी लिपि परिषद के इस वैश्विक अभियान की भूरि भूरि प्रशंसा की। काशी विद्यापीठ के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ राजमनि ने नागरी हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए अनुवाद की भूमिका को रेखांकित किया। गाजियाबाद के सुकवि श्री मानसिंह बघेल और दिल्ली की श्रीमती कविता मधुर ने कविता के माध्यम से विषय को प्रतिपादित किया। मुंबई की डॉ लता जोशी ने अपने शिक्षण अनुभव साझा किए।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ हरिसिंह पाल ने नागरी लिपि परिषद की गतिविधियों को साझा करते हुए कहा कि परिषद ने 14 देशी विदेशी भाषाओं की प्रवेशिकाएं तैयार की हैं। भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग ने विभिन्न विषयों के 8,50000 शब्दों का निर्माण किया है, जिन्हें व्यावहारिक रूप से अपनाना है।आचार्य विनोबा भावे नागरी लिपि को विश्व लिपि के रूप में प्रचारित करने को कहते थे। प्रख्यात भाषाविद डॉ वी आर जगन्नाथन के साथ देश विदेश के नागरी लिपि विद्वानों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ सुनीता शर्मा ने प्रस्तुत किया।

