वेसु, सूरत (गुजरात) ,जन-जन सन्मार्ग दिखाने के लिए अब तक लगभग 58 हजार किलोमीटर की पदयात्रा करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्ष 2024 का मंगल चतुर्मास हीरे की नगरी और वस्त्र उद्योग के लिए पूरी दुनिया में सुप्रसिद्ध नगरी सूरत में कर रहे हैं। यह चतुर्मास भी अब अपनी सम्पन्नता की ओर बढ़ रहा है। सूरत शहर में बादलों ने अपनी बरसात कभी रोकी भी है, किन्तु मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवर्षा की झड़ी को विराम नहीं दिया है। उनके मुख से प्रवाहित होने वाली ज्ञानगंगा में गोते लगाने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं और अपने मन के मैल को धोने का प्रयास करते हैं।
सूरत चतुर्मास के दौरान आचार्यश्री ने आयारो आगम के माध्यम से जनता को अपने जीवन को सुन्दर बनाने की जो प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं, वह जन-जन का कल्याण भी कर रही है। सोमवार को भी प्रातःकाल आसमान से मेघों ने झड़ी लगाई तो प्रातःकाल के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनता पर महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतमयी कल्याणी वाणी की वर्षा भी की। आचार्यश्री ने आयारो आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में होने वाले संग्राम में नीडरता के साथ युद्ध करने वाला योद्धा भी वीर कहला सकता है। कोई बहादुरी से कार्य करे, उसे भी कोई वीर कह दे। इस धर्मशास्त्र में वीर की परिभाषा धर्म से जुड़ी हुई बताई गई है कि जो वीर होता है, वह जागरूक रहता है। जहां सुसुप्तावस्था होती है, वहां खतरे की बात हो सकती है। जागरूकता का अर्थ कि कोई आदमी पूर्ण जागरूकता दिखाते हुए प्रमाद को छोड़ देता है, वह उसकी वीरता होती है।
जो अप्रमत्त है, वह वीर होता है। प्रमाद को छोड़ देना भी बहुत बहादुरी की बात होती है। न मद्य का नशा करता है, न विषय कषाय के सेवन में संलग्न होता है और न विकथा में जाता है, अनावश्यक नींद भी नहीं लेता है तो वह जागरूक व्यक्ति वीर होता है। जो दुर्बल होता है, वह प्रमाद में जाता है। जो सबल होता है, वह प्रमाद से मुक्त रहता है।
जिस काम का समय हो, उसके प्रति सजग रहना, जागरूक रहना ही वीरता होती है। पढ़ने समय पढ़ने के लिए तत्पर, खेलने के समय खेलना, प्रवचन सुनने के समय प्रवचन सुनना, ज्ञानार्जन के समय ज्ञानार्जन करने की जागरूकता हो। व्याख्यान के समय नींद लेने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने जीवन में जागरूक रहने का प्रयास करें तथा वैर भाव से उपरत रहने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री बोधार्थी बाइयों से कुछ प्रश्न भी किए तो बाइयों से उसे अपने ढंग से बताने का प्रयास भी किया। आचार्यश्री ने बोधार्थी बाइयों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्याजी ने भी जनता को उद्बोधित किया।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आज अमृतवाणी का मंचीय उपक्रम था। इस संदर्भ में अमृतवाणी के मंत्री श्री अशोक पारख ने अपनी अभिव्यक्ति दी। अमृतवाणी द्वारा आचार्यश्री तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की विडियो क्लिप प्रस्तुत की गई। अमृतवाणी के निवर्तमान अध्यक्ष श्री रूपचंद दूगड़, अमृतवाणी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री ललित दूगड़ ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए अपने आगमी टीम की घोषणा की। आचार्यश्री ने नवनिर्वाचित टीम को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। सारिका नाहटा ने अपनी पुस्तक ‘ज्ञानकुंज’ ने लोकार्पित किया। खेड़ब्रह्मा से कर्मणा जैन काफी संख्या में पूज्य सन्निधि में उपस्थित थे। श्री बसंत भाई ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।