अष्टमाचार्य कालूगणी के पदारोहण दिवस पर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण ने की अभिवंदना…सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर, Key Line Times वेसु, सूरत (गुजरात),सिल्क सिटि सूरत के चतुर्मासकाल का दो महीने पूर्ण हो चुके हैं। भगवान महावीर युनिवर्सिटि परिसर में संयम विहार में चतुर्मास करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की सन्निधि में अभी भी श्रद्धालुओं के पहुंचने का तांता लगा ही हुआ है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से संघबद्ध रूप दर्शन और सेवा में उपस्थित हो रहे हैं। इससे पूरा चतुर्मास परिसर गुलजार बना हुआ है। वहीं आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में निरंतर ही नये कार्यक्रमों के आयोजनाओं का क्रम भी अनवरत जारी है। भगवान महावीर समवसरण में उपस्थित भक्तिमान जनता को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि भाद्रव मास का अंतिम भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा है और आश्विन मास की प्रतिपदा एक साथ है। भाद्रव महीने के अनेक दिन ऐसे आते हैं, जो हमारे धर्मसंघ में महत्ता के साथ जुड़े हुए हैं। भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा परम पूज्य कालूगणी से जुड़ा हुआ है। भाद्रव शुक्ला द्वादशी को पूज्य डालगणी का महाप्रयाण हो गया था तो भाद्रव शुक्ला पूर्णिमा को परम पूज्य कालूगणी का विधिवत् आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया था। आज परम पूज्य कालूगणी का आचार्य पदारोहण दिवस है। वे लगभग 33 वर्ष की अवस्था में हमारे धर्मसंघ के आचार्य बने थे। करीब 27 वर्षों का उनका आचार्यकाल रहा। उनके आचार्यकाल के सारे चतुर्मास राजस्थान में हुआ, मात्र एक चतुर्मास हरियाणा में उन्होंने किया। इसी प्रकार मर्यादा महोत्सव भी राजस्थान से बाहर एक ही किया। परम पूज्य कालूगणी के जन्मशताब्दी का आयोजन पर परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी की सन्निधि में छापर हुआ था। हमारे धर्मसंघ को अष्टम आचार्य के रूप में प्राप्त हुए थे। उनके द्वारा दीक्षित दो शिष्य हमारे धर्मसंघ को आचार्य के रूप में प्राप्त हुए। दोनों ही आचार्य युगप्रधान आचार्य के रूप में सुशोभित हुए। परम पूज्य कालूगणी के बाद नवमें आचार्य के रूप में पूज्य गुरुदेवश्री तुलसी प्राप्त हुए तथा उनके उपरान्त दसवें आचार्य के रूप में परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी प्राप्त हुए। हमारे धर्मसंघ को आचार्यों का अवदान मिला है। हम सभी परम पूज्य कालूगणी की वंदना, स्तुति, स्मरण करें। उन्होंने जो कार्य किया, उनके जीवन से प्रेरणाएं व शिक्षाएं प्राप्त होती रहें। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी जनता को उद्बोधित किया। तेरापंथ किशोर मण्डल तथा तेरापंथ कन्या मण्डल-सूरत ने चौबीसी के पृथक्-पृथक् गीत को प्रस्तुति दी।
Key line times
3 weeks ago