सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
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कोबा, गांधीनगर (गुजरात) ,जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के साथ शनिवार को अनेकानेक कार्यक्रम भी समायोजित हुए। शनिवार को चतुर्दशी तिथि होने के कारण हाजरी का क्रम भी रहा तो जैन विश्व भारती द्वारा आचार्यश्री तुलसी प्राकृत पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इसके साथ अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के त्रिदिवसीय 50वें राष्ट्रीय अधिवेशन के तीसरे दिन अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के नव निर्वाचित नवीन टीम के शपथ ग्रहण समारोह के साथ अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आचार्यश्री तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार प्रदान करने का भी उपक्रम रहा। सभी उपक्रमों को आचार्यश्री का मंगल आशीर्वाद प्राप्त हुआ।शनिवार को प्रातःकालीन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में उपस्थित श्रद्धालु जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आयारो आगम में कहा गया है कि कहीं-कहीं पहले दण्ड मिलता है और बाद में इन्द्रिय सुख मिलते हैं तथा कहीं-कहीं पहले इन्द्रिय सुख और बाद में दण्ड मिलता है। हमारी दुनिया में आध्यात्मिकता भी है और भौतिकता भी है। आध्यात्मिकता का संबंध आत्मा से है और भौतिकता का संबंध बाह्य पौद्गलिक जगत से है। दो विचारधाराएं रही हैं- आस्तिक और नास्तिक। आस्तिक विचारधारा में आत्मा को शाश्वत, कर्म का फल भोगने आदि की बात बताई जाती है और दूसरी विचारधारा नास्तिकता की है जहां कहा गया है कि यह दुनिया उतनी है, जितनी देखी जा रही है। इसके अलावा परलोक, स्वर्ग-नरक कुछ नहीं होता। नास्तिक विचारधारा एक संदेश देती है कि आगे-पीछे कुछ नहीं है, इसलिए वर्तमानक जीवन को खूब सुख के साथ जीना चाहिए, क्योंकि शरीर के भष्म हो जाने के बाद कुछ नहीं बचता। आस्तिक विचारधारा में पूर्वजन्म और पुनर्जन्म दोनों की बात है। इस आगम के माध्यम से बताया गया है कि जिस आदमी में भौतिकता के प्रति आकर्षण है, भौतिक सुख, इन्द्रिय विषयों का गुलाम है, वह न ज्यादा धर्म के क्षेत्र में विकास कर सकता है और न ही ज्यादा सामाजिक कार्यों तथा सेवा आदि में विकास कर सकता है। राजनीति में स्थित लोगों को भी कुछ अंशों मंे त्यागी और तपस्वी की भांति होना होता है। जिसके इन्द्रियों का संयम होता है, सहन करने की क्षमता होती है, वह समाज तथा राजनीति के क्षेत्र में विकास कर सकते हैं।इसलिए शासक हो या कार्यकर्ता, यदि उसमें संयम और सहिष्णुता होती है, वह विकास के योग्य हो जाता है। कार्यकर्ता अपने सुख-दुःख की चिंता नहीं करते, जगह की चिंता नहीं, कहीं अच्छा स्थान, कहीं जमीन पर सोना हो, कहीं निंदा आदि को भी सहन करना होता है, कहीं सम्मान भी प्राप्त होता है। इस प्रकार जो भी कार्यकर्ता सुख-दुःख की चिंता को छोड़कर सेवा का भाव होना चाहिए। आचार्यश्री ने चतुर्दशी के संदर्भ में जानकारी देते हुए हाजरी के क्रम को संपादित किया। उपस्थित समस्त चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का वाचन किया।जैन विश्व भारती व केबीडी फाउण्डेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आचार्यश्री तुलसी प्राकृत पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इस संदर्भ में केबीडी फाउण्डेशन की श्रीमती मधु दूगड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। वर्ष 2024 का आचार्यश्री तुलसी प्राकृत पुरस्कार डॉ. सुषमा सिंघवी को जैन विश्व भारती व केबीडी फाउण्डेशन आदि के पदाधिकारियों द्वारा प्रदान किया गया। डॉ. सुषमा सिंघवी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। इस समारोह का संचालन जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने किया।अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा पूज्य सन्निधि में अनेक कार्यक्रमों का समायोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में तेरापंथ महिला मण्डल-अहमदाबाद ने गीत का संगान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की निवर्तमान अध्यक्ष श्रीमती सरिता डागा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। इस दौरान अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आचार्यश्री तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार-2025 राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर को प्रदान किया गया। उनके प्रशस्ति पत्र का वाचन पुरस्कार की राष्ट्रीय निर्देशिका श्रीमती सूरज बरड़िया ने किया।राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए कहा कि मैं परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी को नमन करती हूं। ¬तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्यश्री भिक्षु से आरम्भ हुई यात्रा आचार्यश्री महाश्रमणजी तक की गौरवशाली क्षण तक पहुंच गई है। आचार्यश्री! आपने मानवता के लिए जो कार्य किया है, वह अनिर्वचनीय है। आपके सन्निधि में आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम भी अद्भुत है। आपकी सन्निधि मंे प्राप्त यह पुरस्कार मेरे लिए आपके आशीर्वाद के समान है। आपका आशीर्वाद सदैव बना रहे। इस संदर्भ में साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने श्रीमती रहाटकर को प्रेरणा प्रदान की।शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने इस संदर्भ में मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि हमारे समुदाय तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्यश्री भिक्षु हुए। उनके जन्म का तीन सौंवा वर्ष चल रहा है। उनकी आचार्य परंपरा वर्तमान में भी चल रही है। तेरापंथ के नवमे आचार्यश्री तुलसी हुए, जिन्होंने महिला समाज को उन्नति प्रदान करने की नींव रखी। आज महिलाओं में शिक्षा व ज्ञान का विकास है और वे संस्था का प्रतिनिधित्व भी कर रही हैं। इस समाज द्वारा कई अच्छे कार्य भी किए जा रहे हैं। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आचार्यश्री तुलसी कर्तृत्व पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। महिलाओं को परिवार को संभाले व संवारने की विशेष जिम्मेदारी होती है। महिलाओं में सहिष्णुता, संस्कार, शिक्षा व शक्ति रहे तो कितना अच्छा हो सकता है। मां तो गर्भावस्था में भी बच्चों को अच्छे संस्कार दे सकती है। महिला मण्डल द्वारा इस विषय पर भी प्रशिक्षण, कोई कार्यशाला, गोष्ठी आदि का क्रम चलाया जा सकता है। आचार्यश्री ने निवर्तमान व नव मनोनीत अध्यक्ष को मंगलपाठ सुनाया।इस दौरान अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के नए नेतृत्व के शपथ ग्रहण समारोह का भी उपक्रम रहा। निवर्तमान अध्यक्ष श्रीमती सरिता डागा ने नव मनोनीत अध्यक्ष श्रीमती सुमन नाहटा को शपथ दिलाई। नव मनोनीत अध्यक्ष श्रीमती नाहटा ने अपने नवीन टीम के सदस्यों के नामों की घोषणा करते हुए उनको शपथ दिलाई तथा शांतिदूत आचार्यश्री ने समस्त अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की टीम को मंगलपाठ सुनाया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के समस्त कार्यक्रम का संचालन निवर्तमान महामंत्री श्रीमती नीतू ओस्तवाल ने किया।