🌸 *श्री महावीर धाम में पधारे भगवान महावीर के प्रतिनिधि महाश्रमण
सुरेंद्र मुनोत, ऐसोसिएट एडिटर
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बनासकांठा (गुजरात) ,जन-जन के मानस के संताप को हरने वाले व जन-जन की आत्मा को आध्यात्मिक संपोषण देने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अब गुजरात राज्य के बनासकांठा जिले में स्थित पालनपुर तसहील मुख्यालय की ओर गतिमान हैं। पालनपुर में ही तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता का जन्मोत्सव व पट्टोत्सव का कार्यक्रम निर्धारित है। उत्साही श्रद्धालु नित्य अपने आराध्य की सन्निधि में पहुंचकर मार्ग सेवा, उपासना आदि का लाभ प्राप्त कर रहे हैं।रविवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में मालवपारा से शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल विहार किया। मार्ग में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते हुए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी लगभग दस किलोमीटर का विहार कर चडोतर में स्थित श्री महावीर धाम में पधारे।श्री महावीर धाम में आयोजित प्रातःकाल के मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि साधना के क्षेत्र में ऋजुता का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रश्न किया जा सकता है कि मोक्ष को कौन प्राप्त कर सकता है? शास्त्र में उत्तर देते हुए बताया गया कि जिसके जीवन में धर्म होता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। दूसरा प्रश्न हुआ कि किसके जीवन में धर्म ठहरता है? उत्तर दिया गया कि जिसका जीवन शुद्ध होता है, वहां धर्म ठहरता है। तीसरा प्रश्न किया गया कि शुद्ध कौन होता है? आगम में उत्तर दिया गया कि जो ऋजु होता है, उसकी शुद्धि होती है अथवा वह शुद्ध होता है। किसी से कोई गलती हो गई हो तो उसे बता देना और उसका प्रायश्चित्त ले लेता है तो उसके दोष की शुद्धि हो जाती है। एक बच्चे की भांति सरलता होती है, किसी प्रकार का छल-कपट नहीं करता है, वह शुद्ध होता है, ऋजु होता है।झूठ, कपट, छल से आदमी की आत्मा मैली हो जाती है। उसका चित्त विकारों से भर जाता है। सरलता रखना जीवन की बहुत बड़ी संपत्ति होती है। आदमी को जहां तक संभव हो सके, सरलता रखने का प्रयास करना चाहिए, यह आत्मा के लिए हितावह है।आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त श्री महावीर धाम के ट्रस्टी श्री नवीन मोदी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।